मैंगलोर: पिलिकुला चिड़ियाघर का क्षेत्रफल 150 एकड़ है. हमारे देश में 164 मान्यता प्राप्त चिड़ियाघर हैं जिनमें से 17 सबसे बड़े चिड़ियाघर हैं. मैंगलोर में पिलिकुला उनमें से एक है. पिलिकुला चिड़ियाघर में अब तक 475 जानवरों और पक्षियों का प्रजनन कराया जा चुका है. अब तक 15 से अधिक बाघ शावकों का जन्म हो चुका है. फिलहाल यहां 12 बाघ हैं और बाकी को चेन्नई, रिलायंस, बन्नेरघट्टा समेत अन्य चिड़ियाघरों में भेज दिया गया है. आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम चिड़ियाघर से लाए गए जंगली कुत्ते की लुप्तप्राय प्रजाति 'डोल' की भी पिलिकुला के चिड़ियाघर में प्रजनन सफल रही. यहां जंगली कुत्तों के प्रजनन के कारण संख्या 30 से अधिक हो गई है.
किंग कोबरा का प्रजनन: देश में पहली बार वैज्ञानिक तरीके से किंग कोबरा का प्रजनन वर्षों पहले पिलीकुला में किया गया था. यहां 180 किंग कोबरा शावकों का जन्म हो चुका है. फिलहाल पिलिकुला में कुल 15 किंग कोबरा हैं. 175 से अधिक ब्रीडिंग को जंगल में छोड़ा गया है. 50 से अधिक को अन्य चिड़ियाघरों में भेजा गया है.
प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण: दुर्लभ प्रजातियों के प्रजनन के लिए अनुकूल जलवायु मुख्य कारण है. पिलिकुला लुप्तप्राय जानवरों के संरक्षण और प्रजनन के लिए जाना जाता है और इस चिड़ियाघर की खास बात यह है कि यहां दूसरे चिड़ियाघरों से लाए गए पशु-पक्षी प्रजनन के माध्यम से अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं. साँपों की प्रजातियों का सबसे बड़ा संग्रह पिलिकुला में है.