यमुनानगर: पूरा देश आज 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को स्वीकर किए जाने के बाद 26 जनवरी 1950 से इसे लागू किया गया था. इसके बाद से हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है. देशभक्ति से ओतप्रोत इस अवसर पर हम आपको हरियाणा के यमुनानगर के मंधार गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सैकड़ों युवा सेना में भर्ती होकर देश सेवा में जुटे हैं. बता दें, यहां 100 से ज्यादा लोग सेना में सूबेदार से लेकर कैप्टन पद तक की सेवाएं दे चुके हैं और करीब 40 सैनिक रिटायर हो चुके हैं.
यमुनानगर का मंधार गांव (Mandhar village of Yamunanagar) जिसकी आबादी करीब 2 हजार है. इस गांव का जिले में सबसे ज्यादा सेना के जवान होने का रिकॉर्ड है. इतना ही नहीं मंधार गांव में करीब 18 जवान शहीद हुए हैं और एक जवान रणजीत सिंह कारगिल में भी शहीद हुए थे. जिनके नाम से यहां का सरकारी स्कूल भी है. वर्तमान में मंधार से करीब 60 जवान देश की सेनाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
'फौजियों के गांव' से मशहूर है यमुनानगर का गांव ये भी पढ़ें-भारत के विकास में हरियाणा का योगदान सबसे अधिक, खेत से लेकर खेलों तक रहा है बोलबाला
वर्तमान में भी यहां पर सैकड़ों युवा सेना में भर्ती की तैयारी करने में जुटे हुए हैं. एक ग्रामीण ने बताया कि गांव में हर घर से फौजी होने के चलते उन्हें प्रेरणा मिलती है. जिसके चलते वे लगातार तैयारी कर रहे हैं. इस युवा ने बताया कि वह 4 साल से प्रैक्टिस कर रहा है और गांव के अन्य बच्चों को भी प्रैक्टिस करवा रहे हैं और कई बार सेना की भर्ती में भी जा चुका है. वहीं, एक 12 साल का बच्चा अनमोल भी इस ट्रेनिंग का हिस्सा है. वह भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता है.
शहीद रणजीत सिंह के नाम पर सरकारी स्कूल गांव के रिटायर कैप्टन बच्चन सिंह ने बताया कि वो 17 अक्टूबर 1960 में भर्ती हुए थे और 31 अक्टूबर 1988 तक 28 साल देश की सेना में अपनी सेवाएं दी. रिटायर्ड कैप्टन ने बताया कि ड्यूटी के दौरान सेना के हर जवान के जहन में बस विजय प्राप्त करने की धुन सवार होती है. हालांकि युद्ध के दौरान जवान किसी भी बंदूक की गोली का निशाना बन सकता है. इसके बावजूद जवान अपने देश की सेवा के लिए पूरी शिद्दत से खड़ा रहता है.
ये भी पढ़ें-गणतंत्र दिवस परेड 2022 में शामिल हरियाणा की झांकी, ओलंपियंस को होगी समर्पित
वहीं, गांव के सरपंच बलविंद्र सिंह ने बताया कि गांव के सैनिकों की तादाद ज्यादा होने से युवा बच्चों को भी देश सेवा में जाने की प्रेरणा मिलती है. हालांकि गांव में सेना की तैयारी के लिए सही स्थान नहीं होने की वजह से सभी युवा रोड पर ही प्रैक्टिस करते हैं. सरपंच ने बताया कि जब उनके गांव का नाम सबसे ज्यादा सैनिकों के लिस्ट में गिना जाता है तो उन्हें काफी खुशी होती है. बता दें कि गांव के स्कूल का नाम भी शहीद रणजीत सिंह के नाम पर रखा गया है. जो कारगिल के युद्ध में शहीद हुए थे. शहीद रणजीत सिंह के भाई ने बताया कि वह भी देश की सेना में थे और जिस समय उनके भाई कारगिल में शहीद हुए उस समय उनकी पोस्टिंग नागालैंड में थी.
गांव में प्रैक्टिस करते युवा गणतंत्र दिवस के मौके पर देश सेवा में सैकड़ों की संख्या में जवान देने वाले गांव मंधार को देश की जनता का सलाम है. इतने फौजियों को देश सेवा में भेजने के चलते इस गांव को फौजियों के गांव (Village of soldiers Yamunanagar) के नाम से भी जाना जाता है.
ये भी पढ़ें-गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा को मिलेगा 'परम विशिष्ट सेवा मेडल', जानिए भाला उस्ताद के बारे में सबकुछ