पलामू : देशभर में चर्चित मंडल डैम (Mandal Dam) परियोजना पांच दशक से अधूरी है. इस पांच दशक के अधूरे इतिहास ने अपने पीछे एक त्रासदी छोड़ दी है. नेताओं के झूठे वादे और सिस्टम की लाचारी का उदाहरण बन गया है मंडल डैम के डूब क्षेत्र का इलाका. यह इलाका आजादी की लड़ाई में भूमिका निभाने वाला नीलाम्बर पीताम्बर का है.
झारखंड की राजधानी रांची से महज 250 किलोमीटर दूर गढ़वा का चेमो सनेया का इलाका सिस्टम की लाचारी और नेताओं के झूठे वादे का जीता जागता उदाहरण है. त्रासदी के बाद अब यह इलाका नक्सलियों का झारखंड में सबसे सुरक्षित ठिकानों (Safe Zone for Naxalites) में से एक बूढ़ापहाड़ बन गया है.
सत्तर के दशक में उत्तर कोयल नहर परियोजना के तहत मंडल डैम का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच जनवरी 2019 को मंडल डैम के अधूरे कार्य को पूरा करने की योजना का शिलान्यास किया था. शिलान्यास के बावजूद आज तक डैम निर्माण कार्य के लिए ईंट तक नहीं रखी गई. करीब पांच दशक से इलाके के लोग डूब क्षेत्र होने का दंश झेल रहे है.
अधूरा मंडल डैम लोगों को तिल-तिल मार रहा
अधूरा मंडल डैम ऐतिहासिक नीलाम्बर पीताम्बर के गांव (Village of Nilambar Pitambar) चेमो सान्या के साथ-साथ एक दर्जन के करीब गांव के लोगों को तिल तिल मरने पर मजबूर कर दिया है. मंडल डैम के डूब क्षेत्र में गढ़वा के भंडरिया प्रखंड के कुटकु, सान्या, चेमो, खुरा, भजना, खैरा समेत एक दर्जन के करीब गांव डूब क्षेत्र में है. यह पूरा का पूरा इलाका माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाना बूढ़ा पहाड़ के अंदर है.
सत्तर के दशक में जब परियोजना शुरू हुई थी तो डैम की ऊंचाई 367 मीटर थी. 2019 में इसकी ऊंचाई घटाकर 341 मीटर कर दी गई. यह पूरा का पूरा इलाका पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत भी है. डूब क्षेत्र होने के कारण इलाके में कोई भी विकास की योजना संचालित नहीं है. गांव के लोग न ही सरकारी योजना का लाभ ले सकते हैं और न ही कहीं बस सकते हैं.