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उत्तरकाशी: बीमार बुजुर्ग को डंडी-कंडी में लादकर बर्फीले रास्ते पर 16 किमी पैदल चले ग्रामीण - Uttarkashi Mori Block Hospital Problem

उत्तराखंड के कई गांव आज भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं. इस कारण ग्रामीणों को आए दिन मीलों का सफर पैदल तय करना पड़ता है. कुछ ऐसी ही तस्वीर उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक से सामने आई है. यहां बीमार बुजुर्ग को बर्फीले रास्ते से होकर हॉस्पिटल तक 16 किमी पैदल चलकर पहुंचाया गया.

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Published : Feb 16, 2022, 2:20 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए 10 मार्च को मतगणना होगी. इसके बाद उत्तराखंड में पांचवीं निर्वाचित सरकार बन जाएगी. सरकार तो पांचवीं बनेगी लेकिन राज्य के दूर-दराज के इलाकों में सुविधाएं अभी भी आदम युग जैसी ही हैं. इसी का नमूना उत्तरकाशी में देखने को मिला.

सीमांत जनपद उत्तरकाशी के विकासखंड के दुर्गम गांव मोरी ब्लॉक के लोग विकास से कोसों दूर हैं. आज भी यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी तब होती जब गांव का कोई शख्स बीमार पड़ जाए. गांव में कोई स्वास्थ्य सुविधा न होने के कारण लोगों को मीलों का सफर पैदल तय करना पड़ता है. वहीं वर्षों से पैदल सफर करना ग्रामीणों की नियति बन गया है.

बीमार बुजुर्ग को डंडी-कंडी में लादकर बर्फीले रास्ते पर 16 किमी पैदल चले ग्रामीण

पिछले कुछ दिनों से मोरी ब्लाक के सुदूरवर्ती ओसला गांव में 58 वर्षीय कृपा सिंह बीमार चल रहे थे. सोमवार को कृपा सिंह की स्थिति गंभीर हो गई. जिसके बाद सोमवार की रात को ग्रामीणों ने बीमार को सड़क मार्ग तक पहुंचाने के लिए लकड़ी की डंडी-कंडी तैयार की. मंगलवार की सुबह ग्रामीणों ने बीमार बुजुर्ग को बर्फीले रास्ते से होते हुए तालुका तक पहुंचाया. 16 किलोमीटर लंबे बर्फीले रास्ते में कई स्थानों पर ग्रामीण बर्फ में फिसलते हुए बाल-बाल बचे. ग्रामीणों ने बताया कि तालुका से लेकर ओसला तक पूरे रास्ते में बर्फ की चादर बिछी हुई है. मंगलवार तड़के चलने के बाद भी तालुका पहुंचने में छह घंटे से अधिक समय लग गया.

पढ़ें-उत्तराखंड : 8 KM पैदल डंडी-कंडी के सहारे बीमार महिला को पहुंचाया अस्पताल

बता दें कि आज भी ओसला सहित ढाटमीर, पवाणी और गंगाड गांव सड़क सुविधा से वंचित हैं. इसके अलावा इन गांवों में संचार, स्वास्थ्य और शिक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं है. अगर सड़क सुविधा और स्वास्थ्य सुविधा होती तो ग्रामीण को एक सप्ताह पहले ही उपचार दिया जा सकता था. उपचार न मिलने के कारण ग्रामीण की हालत गंभीर हुई, जिसके बाद ग्रामीणों ने डंडी-कंडी के सहारे सड़क मार्ग तक पहुंचाने का निर्णय लिया. जिसके बाद उन्होंने ने बीमार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला पहुंचाया. वहीं बीमार बुजुर्ग की हालत गम्भीर होने पर चिकित्सकों ने देहरादून रेफर कर दिया.

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