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तीरा को नई जिंदगी देने के लिए 10 देशों से आई मदद, जगी एक उम्मीद

मुंबई में पांच महीने की तीरा कामत स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक एक बीमारी से जूझ रही है, जिसके इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये की जरूरत है. मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले तीरा के माता-पिता ने क्राउडफंडिंग कर अब यह पैसे इकट्ठा किया है.

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Published : Feb 23, 2021, 6:30 AM IST

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तीरा को मिलेगी नई जिंदगी

मुंबई : महाराष्ट्र के मुंबई में पांच महीने की तीरा कामत स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक एक बीमारी से जूझ रही है, जिसके इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये की जरूरत है. मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले तीरा के माता-पिता ने क्राउड फंडिंग कर अब यह पैसे इकट्ठा किया है, जिसके बाद इस महीने तीरा का इलाज किया जाएगा.

पांच महीने की इस नन्हीं परी का नाम तीरा कामत है और मुंबई की ये मासूम लगातार मौत से लड़ रही है. तीरा की मां प्रियंका बताती हैं कि उसको सांस लेने में तकलीफ होती है, दूध पीते वक्त उसका दम घुटने लगता है. तीरा को SMA यानी स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी टाइप वन नाम की रेयर जेनेटिक बीमारी है. SMA एक न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर है, जिससे धीरे-धीरे शरीर कमजोर पड़ने लगता है. ब्रेन की नर्व सेल्स और स्पाइनल कॉर्ड डैमेज होने लगते हैं. इसके अलावा बॉडी के कई हिस्सों में मूवमेंट नहीं हो पाता.

नन्हीं सी जान को मिलेगी नई जिंदगी?

तीरा के पिता मिहिर कामत ने कहा तीरा के जन्म के समय मुझे लगा था कि हमने उसके भविष्य के लिए सभी तैयारियां कर ली हैं, लेकिन जिस तरह से तीरा को इस बीमारी से जूझना पड़ रहा है. हम इसके इलाज के लिए रकम जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके लिए हमें 16 करोड़ रुपये की जरूरत है. तीरा के परिवारवालों ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल के साथ ही क्राउडफंडिंग से जुड़े वेबसाइट इम्पैक्ट गुरु की भी मदद ली, जहां पर उन्होंने अपने बेटी के बीमारी के बारे में बताकर लोगों से मदद की अपील की. राहत की बात यह रही कि तीन महीने के कार्यकाल में इस वेबसाइट पर देश-विदेश से लाखों लोगों ने पैसों की सहायता कर तीरा के इलाज के लिए मदद किए.

कुल 87,136 लोगों ने तीरा के इलाज के लिए पैसों की सहायता की. औसतन प्रति व्यक्ति ने 1750 रुपये की मदद की. भारत, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया समेत कुल 10 देशों से लोगों ने आर्थिक सहायता की. कुल 14.92 करोड़ रुपये इकट्ठा किए गए. 100 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये की मदद भी लोगों ने की है.

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इम्पैक्ट गुरु के सीईओ पीयूष जैन ने कहा यह एक रिकॉर्ड ब्रेकिंग कैंपेन है. भारत में आजतक एक व्यक्ति के लिए कभी इतनी बड़ी रकम इकट्ठा नहीं हुई है. 87 हजार लोगों ने औसतन 1750 रुपये की आर्थिक सहायता की है, साथ ही यह कैंपेन उन तमाम लोगों के लिए भी एक उम्मीद लेकर आती है, जिन्हें इलाज के लिए पैसों की जरूरत है. इससे पता चलता है कि दवाई कितनी भी महंगी क्यों ना हो, दुनिया में लोग मदद करते हैं.

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