फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद शहर की सड़कों पर एक शख्स एक बैनर लेकर घूम रहा है. जिसपर 'किडनी बिकाऊ है' और 'आमरण अनशन आत्मदाह समारोह 21 मार्च' लिखा हुआ है. उस पर कुछ तस्वीरें, फोन नंबर से लेकर पता तक लिखा हुआ है. शहर की व्यस्त सड़क पर कुछ लोग रुकते हैं और पोस्टर पढ़कर आगे निकल जाते हैं तो इक्का दुक्का लोग इस शख्स का दुखड़ा भी सुन लेते हैं. फरीदाबाद में पोस्टर लेकर घूमने वाले शख्स का नाम संजीव है जो बिहार के पटना का रहने वाला है. संजीव के मुताबिक पत्नी और ससुराल पक्ष ने उसे ये सब करने पर मजबूर किया है.
माजरा क्या है?- ईटीवी भारत ने भी संजीव से बातचीत की और जाना कि आखिर संजीव ये क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं. संजीव का आरोप है कि उसके ससुराल पक्ष के लोग उसे परेशान कर रहे हैं. इसमें उसकी पत्नी से लेकर, सास, ससुर और साला भी शामिल है. संजीव ने बताया कि उसकी पत्नी उसपर तलाक लेने का दबाव बना रही है. साथ ही वो दस लाख रुपये की मांग कर रही है. संजीव के मुताबिक उसका प्रिंटिंग प्रेस का काम है. उसके पास इतना पैसा नहीं है कि वो दस लाख रुपये दे सके. इसलिए दस लाख रुपये की मांग पूरा करने के लिए संजीव अगल अलग राज्यों में जाकर अपनी किडनी बेचने का विज्ञापन कर रहे हैं. ताकि वो अपनी पत्नी को दस लाख रुपये देकर तलाक ले सके और उसका ससुराल पक्ष उसे या उसके परिजनों को परेशान ना करें.
तलाक नहीं लेना चाहता लेकिन...-संजीव के मुताबिक पत्नी और ससुराल की ओर से उसके खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज है और वो फिलहाल जमानत पर है. मामला 6 साल से चल रहा है और अब पत्नी तलाक के साथ 10 लाख रुपये की डिमांड कर रही है. संजीव के मुताबिक वो तलाक नहीं लेना चाहता है लेकिन अगर पत्नी बात नहीं मान रही है तो वो अपनी किडनी बेचकर पैसे जुटाएंगे. संजीव ने बताया कि उसे किडनी के बदले 8 लाख रुपये मिल रहे हैं लेकिन उसकी डिमांड 10 लाख रुपये की है, क्योंकि पत्नी की ओर से 10 लाख रुपये मांगे जा रहे हैं.
आत्मदाह के लिए दिन तय, पीएम सीएम और राष्ट्रपति को निमंत्रण-संजीव ने कहा कि अगर 21 मार्च तक मेरी किडनी बिक जाती है, तो मैं पैसे अपने ससुराल वालों को दे दूंगा. नहीं तो मैं आत्मदाह करूंगा. पोस्टर पर बकायदा आमरण अनशन आत्मदाह समारोह 21 मार्च और पता पटना का लिखा है. संजीव इस दिन के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत सभी लोगों को भी निमंत्रण दे रहे हैं. संजीव कहते हैं कि मैंने इंसाफ की मांग को लेकर अधिकारियों के चक्कर काटे, लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी. मैं थाने के कई चक्कर काट चुका हूं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही. थक हारकर ये कदम उठाया है.