कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस के मंत्री पश्चिम बंगाल में अपने तीसरे कार्यकाल में आरोपों से त्रस्त हैं. स्थिति को भांपते हुए टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने राज्य कमेटी की पिछली बैठक में भ्रष्टाचार, गुटबाजी और सिंडिकेट राज के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी है. ममता के अनुसार, पार्टी बड़े भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं के साथ खड़ी नहीं होगी. लगता है वह समझ चुकी हैं कि यदि इन भ्रष्ट नेताओं को पार्टी का समर्थन मिलता रहा तो जनता का समर्थन खो सकती हैं. पार्टी के भीतर भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला भी शुरू हो सकता है. जिस तरह से पार्टी नेताओं के नाम भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ रहे हैं उससे मुख्यमंत्री नाराज नजर हैं.
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि वह जिला स्तरीय प्रशासनिक समीक्षा बैठकों के साथ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बूथ स्तर के नेताओं की बैठकें शुरू करेंगी. यह पहली बार है जब वह पार्टी के बूथ स्तर के नेताओं के साथ बैठक करेंगी. राज्य में पंचायत चुनावों से पहले जमीनी स्तर के नेतृत्व से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के उद्देश्य से पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद सीएम ने यह घोषणा की. टीएमसी सुप्रीमो ने पार्थ चटर्जी के स्थान पर सुब्रत बख्शी को शामिल कर पार्टी की अनुशासन समिति में भी बदलाव किया. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चूंकि स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) घोटाले के चलते पार्थ की छवि खराब हुई थी, इसलिए सीएम ने उन्हें अनुशासनात्मक समिति से बाहर करने का फैसला किया. बैठक के बाद बनर्जी ने कहा कि पहली प्रशासनिक समीक्षा बैठक मिदनापुर पश्चिम में होगी. 11 मई को मिदनापुर कस्बे में पार्टी की सांगठनिक बैठक होगी, जिसमें पार्टी के कार्यकर्ता शामिल होंगे. फिर मैं समीक्षा बैठक के दूसरे दौर के लिए उसी दिन झारग्राम जाऊंगा. 12 मई को झारग्राम में हमारी एक और पार्टी संगठनात्मक बैठक होगी.
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उन्होंने कहा कि हम 20 मई तक ब्लॉक और जिला स्तर से पार्टी कार्यकर्ताओं से सुझाव लेंगे. हम जिला संगठन सहित सभी समितियों का पुनर्गठन करेंगे. समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया 20 मई के बाद शुरू होगी. उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल विकास के पथ पर है. हमें लोगों तक पहुंचने और उन्हें राज्य के विकास के बारे में सूचित करने की आवश्यकता है. इसके लिए हम जिलों, नगर पालिकाओं और पंचायतों में एक कार्यक्रम शुरू करेंगे जहां प्रदर्शनियां, मेला और अन्य गतिविधियां होंगी. यह 5 मई से 5 जून तक पूरे बंगाल में किया जाएगा. हम राज्य भर में रवींद्र जयंती भी मनाएंगे. 26 मई को लेखक नजरूल इस्लाम की जयंती के मौके पर भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
दरअसल, ममता बनर्जी चाहती हैं कि उनकी टीम जनता के लिए काम करे जिसने उसे जनादेश दिया है. ममता ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सलाह दी है कि लोगों के करीब रहें और उनके लिए काम करें. ममता ने संकेत दिया कि पार्टी की क्षेत्रीय जिला समितियों के नए नेताओं को लाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी. माना जा रहा है कि ममता जिला समितियों के लिए साफ छवि के नेताओं की तलाश कर रही है. लेकिन सवाल यह है कि - चुनाव में 100 प्रतिशत सफलता दर्ज करने वाले जिला समितियों के नेताओं को बदलना क्यों जरूरी है और यह ममता के लिए कितना चुनौती पूर्ण हो सकता है.
बदलाव के पीछे दो मुख्य कारण हैं. सबसे पहले, पार्टी के अधिकांश नेताओं की आंतरिक गुटबाजी. वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में बड़ी संख्या में नेताओं के नाम सामने आए हैं. राजनीतिक विश्लेषक अमल मुखोपाध्याय के अनुसार, पार्टी को साफ करना टीएमसी की सर्वोच्च प्राथमिकता है. साथ ही अगर वे ऐसा कर पाते हैं तो उन्हें यहां से जनता का समर्थन ही मिलेगा. यह याद किया जा सकता है कि तृणमूल कांग्रेस ने एक व्यक्ति-एक-पद की नीति की घोषणा की थी. लेकिन व्यवहार में जब कड़े फैसले लेने की जरूरत पड़ी तो ममता के करीबी नेताओं से उस नीति का विरोध शुरू हो गया. नतीजतन, पार्टी को इस कदम से पीछे हटना पड़ा. संगठन में होने वाले फेरबदल में भले ही शुद्धिकरण की कितनी ही बात क्यों न हो, लेकिन अगर भ्रष्टाचार के बिना साफ छवि वाले नेता नहीं मिले तो स्थिति हाथ से निकल सकती है.