नई दिल्ली :विधानसभा चुनावों से कुछ ही महीने पहले उत्तराखंड में नाटकीय घटनाक्रम में शनिवार को युवा भाजपा विधायक पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया. वह रविवार को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. इससे पहले तीरथ सिंह रावत ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया था. इसकी बड़ी वजह उन्होंने उपचुनाव को लेकर संवैधानिक संकट बताया है.
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तराखंड जैसा घटनाक्रम पश्चिम बंगाल पर भी लागू हो सकता है. राजनीतिक जानकारों को लग रहा है कि भाजपा बंगाल में भी यही फंडा अजाम सकती है.
दरअसल, उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष करन महारा ने दिल्ली में संबोधित करते हुए कहा कि 'भाजपा ममता बनर्जी सरकार को टारगेट कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने जिस तरह टीएमसी (TMC) नेता ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को चुनौती दी, लेकिन भाजपा को बंगाल में करारी शिकस्त मिली. ममता ने बहुमत से सरकार बनाई. बंगाल चुनाव के परीणाम पीएम मोदी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे.'
महारा के अलावा प्रेस वार्ता को उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत, एआईसीसी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने संबोधित किया.
उत्तराखंड संकट
बता दें कि 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव हुआ है. यहां पर भाजपा की सरकार बनी थी. इसके बाद से पुष्कर सिंह धामी तीसरे मुख्यमंत्री होंगे. उनसे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री थे.
इससे पहले, प्रदेश में उपजे संवैधानिक संकट के बीच तीन दिनों तक चले राजनीतिक उहापोह के बाद शुक्रवार देर रात तीरथ सिंह ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया था.
तीन दिवसीय दिल्ली प्रवास के दौरान पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा सहित अन्य केंद्रीय नेताओं से मुलाकात करने के बाद शुक्रवार रात ही देहरादून लौटे रावत ने बताया कि उनके इस्तीफा देने की मुख्य वजह संवैधानिक संकट था जिसमें चुनाव आयोग के लिए मतदान कराना मुश्किल था.
पौड़ी से लोकसभा सदस्य रावत ने इसी साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद संभाला था और संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह माह के भीतर यानि 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना था, लेकिन तीरथ सिंह के विधायक बनने में यह संवैधानिक संकट आड़े आ गया. जब प्रदेश के विधानसभा चुनावों में एक साल से कम का समय बचा हो तो सामान्यत: उपचुनाव नहीं कराए जाते. इसके अलावा, कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पाईं और तीरथ सिंह को पद छोड़ना पड़ा.
लेकिन ऐसा नहीं होना था, क्योंकि जनप्रतिनिधित्व कानून कहता है कि जिस राज्य में विधानसभा चुनाव एक साल से कम समय में होना है, वहां किसी भी सीट के लिए उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है.