कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पार्टी के सभी मौजूदा पदों को भंग (निरस्त) कर दिया (mamata dissolves all existing posts in TMC). सत्तारूढ़ टीएमसी के अंदर व्याप्त तनाव के बीच बनर्जी ने शनिवार को कालीघाट स्थित अपने आवास पर वरिष्ठ नेताओं के साथ आपात बैठक की, जिसमें ममता ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पार्टी की 20 सदस्यीय नई राष्ट्रीय कार्यसमिति का गठन किया. इसके साथ ही बनर्जी ने शीर्ष पदों को फिलहाल निरस्त करने का फैसला किया है.
नए पदाधिकारियों के नाम की घोषणा बाद में खुद बनर्जी करेंगी. महत्वपूर्ण घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब ऐसी चर्चा चल रही है कि पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी कथित तौर पर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ मतभेदों के कारण सभी संगठनात्मक जिम्मेदारियों से हट सकते हैं. वरिष्ठ तृणमूल नेता पार्थ चटर्जी ने कहा, ममता बनर्जी को हाल ही में पार्टी की अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया है, जहां उन्होंने पार्टी मामलों की देखभाल के लिए एक छोटी समिति की घोषणा की. शनिवार उस समिति की एक बैठक हुई है, जहां उन्होंने हमारी नई राष्ट्रीय कार्य समिति की घोषणा की है.
उन्होंने कहा कि बनर्जी बाद में नए पदाधिकारियों की नियुक्ति करेंगी और तदनुसार इसे भारत के चुनाव आयोग को भेजा जाएगा. राष्ट्रीय कार्य समिति में स्थान पाने वाले नेताओं में अमित मित्रा, पार्थ चटर्जी, सुब्रत बख्शी, सुदीप बंदोपाध्याय, अभिषेक बनर्जी, अनुब्रत मंडल, अरूप विश्वास, फिरहाद हकीम, यशवंत सिन्हा, असीमा पात्रा, चंद्रिमा भट्टाचार्जी, काकोली घोष दस्तीदार, शोभंदेब चट्टोपाध्याय, सुखेंदु शेखर रॉय, मोलॉय घटक, ज्योतिप्रिया, गौतम देब, बुलुचिक बारैक और राजेश त्रिपाठी शामिल हैं.
दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रीय कार्य समिति के अधिकांश सदस्य ममता खेमे के हैं, जो इस बात का पर्याप्त संकेत है कि मुख्यमंत्री पार्टी पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की इच्छुक हैं. अन्य राज्यों के केवल दो नेता - यशवंत सिन्हा और राजेश त्रिपाठी - तृणमूल की राष्ट्रीय कार्य समिति का हिस्सा हैं. तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, जब तक हमारी अध्यक्ष पदाधिकारियों की नई सूची की घोषणा नहीं करतीं हैं, अंतिम समिति के अन्य सभी पद भंग हो गए हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, मुख्यमंत्री खुद पार्टी को नियंत्रित करना चाहती हैं. विभिन्न नेताओं द्वारा बहुत सारे वर्जन सामने रखे गए थे, जो पार्टी के लोगों और आम वर्कर्स के बीच भ्रम पैदा कर रहे थे. इस स्थिति में, पार्टी पर मजबूत नियंत्रण आवश्यक था.