कोलकाता : चुनाव से पहले सर्वे और अब चुनाव के बाद एग्जिट पोल. असम, तमिलनाडु और केरल पर करीब-करीब सभी अनुमान एक ही ओर इशारा कर रहे हैं. लेकिन प. बंगाल को लेकर अनुमान भी बंटे हुए हैं. इस विषय पर ईटीवी भारत ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज (CSDS) के निदेशक संजय कुमार से विशेष बातचीत की. आप हमारे वीडियो में पूरा साक्षात्कार देख सकते हैं. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, केरल और असम के बारे में भविष्यवाणियों पर विभिन्न एग्जिट पोलर्स के बीच एकमत है, लेकिन पश्चिम बंगाल को लेकर विभाजित हैं. संजय कुमार ने कहा कि प. बंगाल में ममता सत्ता में फिर से लौटेंगी. प. बंगाल में 292 विधानसभा सीटों के लिए आठ चरणों में चुनाव हुए.
आम तौर पर बंगाल में इस बार पिछले चुनावों के मुकाबले कम हिंसा की खबरें आईं. फिर भी कुमार आठ चरणों में चुनाव कराए जाने की आलोचना करते हैं.
उनकी दलील है कि जो समय सुरक्षा बलों को अंतर निर्वाचन क्षेत्र के मूवमेंट के लिए दिया जाता है और उतना ही समय असामाजिक तत्वों को हिंसक गतिविधियों के लिए योजना बनाने का भी अवसर देता है. बहुत सारे चरण में चुनाव करवाना अच्छी योजना नहीं है. प्रोफेसर कुमार कहते हैं कि पश्चिम बंगाल के चुनाव दो या तीन चरणों में होने चाहिए थे, यह पर्याप्त थे.
बीजेपी के सभी शीर्ष नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस को हराने के लिए बंगाल में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया, लेकिन ऐसा लगता है कि अमित शाह का 'अबकी बार 200 पार' दूर का सपना है.
सीएसडीएस के निदेशक का मानना है कि भाजपा ने भी स्वीकार किया है कि टीएमसी बंगाल में चुनाव जीत रही है. लेकिन, साथ ही वो भाजपा के हार नहीं मानने की चेतावनी देते हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि भाजपा सत्ता में नहीं आ रही है. भाजपा के पास 2016 में केवल 3 विधायक थे और अगर वे 30% वोट शेयर लेकर 110 सीटें भी हासिल करते हैं, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.
कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के खराब हालत को देखते हुए माना जा रहा है कि राज्य में मतदान के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं हुआ है.