हैदराबाद:साढ़े चार दशक के इतिहास वाली माओवादी पार्टी (Maoist party) गंभीर उतार-चढ़ाव का सामना कर रही है. पार्टी में दिशा का अभाव है क्योंकि शीर्ष नेता मुठभेड़, गिरफ्तारी, खराब स्वास्थ्य के कारण मौत या आत्मसमर्पण के कारण एक-एक करके पार्टी छोड़ रहे हैं.
पार्टी पोलित ब्यूरो सदस्य कटकम सुदर्शन की इस साल की शुरुआत में बीमारी से मृत्यु हो गई, एक अन्य पोलित ब्यूरो सदस्य प्रमोद मिश्रा (Pramod Mishra) उर्फ बनबिहारी को अगस्त में बिहार में गिरफ्तार किया गया था और केंद्रीय समिति के सदस्य संजय दीपक राव को एक सप्ताह पहले हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया था. 21 सितंबर 2004 को सीपीआई-माओवादी तत्कालीन सीपीआई-पीपुल्स वॉर और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एमसीसीआई) के विलय से उभरा, जिसमें केंद्रीय समिति में 32 सदस्यों के साथ पोलित ब्यूरो में 13-14 सदस्य थे.
उनमें से 11 को गिरफ्तार कर लिया गया, तीन की मुठभेड़ में मौत हो गई और चार की बीमारी के कारण मौत हो गई. वर्तमान में, केंद्रीय समिति के सदस्यों की संख्या घटकर 18 हो गई है, जिसमें पोलित ब्यूरो के पांच सदस्य भी शामिल हैं, जो नीतिगत निर्णयों के लिए महत्वपूर्ण है.
पांच साल पहले दंडकारण्य के 14,000 वर्ग किलोमीटर के घने जंगल पर माओवादियों की मजबूत पकड़ थी. गौरतलब है कि वर्तमान में यह घटकर 5 हजार वर्ग किमी रह गया है. इनमें से आधे से ज्यादा तेलंगाना के नेता हैं. फिलहाल पार्टी में तेलंगाना के नेताओं का दबदबा बना हुआ है.