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मुंबई में होते हैं इमारत ढहने से ज्यादा हादसे, जानें कारण - Building Collapse

आए दिन हम अखबारों में इमारत ढहने की खबरें पढ़ते हैं. इस घटनाएं ज्यादातर मुंबई में होती हैं. मलबे में दबने से कई लोगों की मौत हो जाती है. आइए जानते हैं कुछ प्रमुख हादसों और इमारत के ढहने के कारणों को...

building collapse
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Published : Jun 10, 2021, 11:53 PM IST

हैदराबाद : मुंबई में इमारत ढहने की घटनाएं बहुत होती हैं. यह घटनाएं मानसून के सीजन में और बढ़ जाती हैं. कई लोग इन हादसों में अपनी जान गवां बैठते हैं. कई बार प्रशासन कमजोर इमारतों को चयनित कर हादसा होने से रोक लेते हैं लेकिन ज्यादातर हादसों में लोगों की जान नहीं बच पाती है. आइए जानते हैं कुछ प्रमुख हादसों और इमारत के ढहने के कारणों के बारे में...

मुंबई में इमारत ढहने के हुए प्रमुख हादसे

21 सितंबर, 2020 - मुंबई के भिवंडी में एक तीन मंजिला इमारत का हिस्सा ढहा. हादसे के बाद भिवंडी शहर में इमारत गिरने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 39 तक पहुंची.

25 अगस्त, 2020- महाराष्ट्र के रायगड जिले में 16 शव मिले. दो व्यक्ति मलबे के नीचे जीवित पाए गए. मुंबई से करीब 170 किलोमीटर दूर महाड कस्बे में 24 अगस्त की शाम हुए इस हादसे में पांच मंजिला इमारत तारेक गार्डन हुई जमींदोज. नौ लोग घायल भी हुए.

4 अगस्त, 2015- मुंबई के ठाणे रेलवे स्टेशन के पास 50 साल पुरानी एक इमारत के गिरने से एक ही परिवार के चार लोगों सहित 11 लोगों की मौत हुई. सात लोग घायल भी हुए.

31 अगस्त, 2017 - दक्षिण मुंबई के भीड़भाड़ वाले भिंडी बाजार (Bhendi Bazar) इलाके में 117 साल पुरानी हुसैनी इमारत जमींदोज. 24 से अधिक लोगों की मौत.

25 जुलाई, 2017 - घाटकोपर (पश्चिम) के एलबीएस मार्ग पर चार मंजिला इमारत सिद्धि साईं अपार्टमेंट के गिरने से 17 लोगों की मौत हुई.

27 सितंबर, 2013 - मुंबई शहर के मझगांव इलाके में पांच मंजिला इमारत ढही. हादसे में कम से कम 61 लोगों की मौत हुई. 32 अन्य घायल हुए.

4 अप्रैल, 2013 - महाराष्ट्र के ठाणे अंतर्गत उपनगर मुंब्रा में आदिवासी भूमि पर एक इमारत ढही. इसे इलाके की सबसे भीषण इमारत ढहने वाला हादसा बताया गया. दुर्घटना में 74 लोगों की मौत हुई. (18 बच्चे, 33 पुरुष और 23 महिलाएं). 100 से अधिक लोग बाल-बाल बचे.

मुंबई की इमारत ढहने के प्रमुख कारण

मुंबई घनी आबादी वाला शहर है लेकिन यहां नियोजन काफी खराब है जिससे मानव निर्मित आपदाओं और प्राकृतिक जैसे बाढ़, भूस्खलन; मलिन बस्तियों, इमारतों, ऊंची इमारतों, औद्योगिक इकाइयों और परिवहन वाहनों में आग, पेड़ और इमारत गिरने से नुकासन होता है.

मुंबई में अब 14,000 से अधिक इमारतें हैं जो 50 साल से अधिक पुरानी हैं जिनके ढहने का खतरा बना हुआ है.

पढ़ें :-मुंबई: भिवंडी में गिरी तीन मंज़िला इमारत, अब तक 20 लोगों की मौत

विश्व आर्थिक मंच की 2017 की रिपोर्ट में ढाका (44,500) के बाद मुंबई, जहां 12 मिलियन से अधिक लोगों रहते हैं, दुनिया में दूसरा सबसे घनी आबादी वाला शहर (31,700 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर) है. इस आबादी का बड़ा हिस्सा झुग्गी बस्तियों में रहता है, कुछ अनुमानों के अनुसार यहां 40% से अधिक झुग्गियां हैं.

हर दिन पैंतालीस (45) आपातकालीन कॉल

मुंबई फायर ब्रिगेड को 2018-19 में 99,393 आपातकालीन कॉल प्राप्त हुए. आधिकारिक डेटा बताता है कि इनमें से 1.8% (1,830) इमारत ढहने के कारण किए गए. औसतन हर साल 300 से अधिक कॉल इमारत ढहने के बाद किए गए. इनमें से बहुत सी इमारतों में निकलने या बचाव की कोई उचित योजना नहीं है. इन हादसों में बहुत से लोग धुएं के कारण और कुछ लोग आग के कारण मर जाते हैं. इसलिए इसे रोकने के लिए एक उचित निकासी योजना और तरीके होने चाहिए.

अनुचित शहर नियोजन और यातायात भी इमारत ढहने के अन्य प्रमुख कारणों में से है.

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