नई दिल्ली : केंद्र सरकार भले ही यह बार-बार दावा करती हो कि उसने नक्सलियों के कमर तोड़ दिए हैं, लेकिन जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं, तो पूरी व्यवस्था पर सवाल जरूर खड़े हो जाते हैं. एक नजर डालते हैं, कुछ प्रमुख घटनाओं पर जब नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया और हमारे जवान शहीद हो गए.
अप्रैल 2021- छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली हमले में 22 जवानों की जान चली गई. 31 जवान घायल हो गए थे. इसी साल झारखंड में तीन अन्य जवानों की हत्या कर दी गई थी. नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट किया था.
मार्च 2020- डीआरजी और एसटीएफ के 17 जवानों की घात लगाकर हत्या की गई थी. घटना छत्तीसगढ़ के सुकमा में घटी थी.
2019 में झारखंड के लातेहार में चंदवा पुलिस थाने पर हमला किया गया था. इस हमले में चार जवान मारे गए थे. इसी साल महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में माओवादियों के हमले में 15 पुलिस वाले मारे गए. लैंडमाइन ब्लास्ट की वजह से उनकी जान गई थी.
2018में सीआरपीएफ की 212 बटालियन पर हमला किया गया था. इसमें आठ जवानों की जान चली गई. आईईडी ब्लास्ट का उपयोग किया गया था. घटना छत्तीसगढ़ के किस्तराम में हुई थी.
अप्रैल 2017- माओवादियों ने सीआरपीएफ के 25 जवानों की हत्या कर दी थी. सात जवान घायल हो गए थे. जवाबी कार्रवाई में 10-12 माओवादी मारे गए थे. यह हमला उस समय किया गया था, जब सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के 100 जवान नक्सल प्रभावित इलाके में सड़क बना रहे मजदूरों और कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान कर रहे थे. यह घटना छत्तीसगढ़ के सुकमा में दोर्नापाल जगरगुंडा सड़क पर हुई थी.
11 मार्च 2017- ओडिशा पुलिस के छह जवान मारे गए थे. माओवादियों ने उनके वाहन को उड़ा दिया था. ओडिशा के कोरापुट जिले के सुनकी में एनएच 26 पर लैंडमाइन ब्लास्ट कर इस घटना को अंजाम दिया गया था. पुलिस विभाग के ड्राइवरों को ट्रेनिंग के लिए ले जाया जा रहा था.
19 जुलाई 2016 - कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन, कोबरा, के 10 कमांडो की बिहार के औरंगाबाद जिले में हत्या कर दी गई थी. नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट का उपयोग किया था. जवाबी कार्रवाई में चार नक्सली भी मारे गए थे. यह एनकाउंटर आठ घंटे तक चला था.
एक दिसंबर 2014 - माओवादियों ने सीआरपीएफ के 14 जवानों की हत्या कर दी. इनमें दो अधिकारी भी शामिल थे. घटना छत्तीसगढ़ के सुकमा के कसलपारा गांव में हुई थी. एनकाउंटर में छह माओवादी भी मारे गए.