नई दिल्ली :पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को चैन से जीने का अधिकार दीजिए, अमन उसके बाद आएगा. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक को तत्कालीन राज्य और अब केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की जनता की दुश्वारियों के अंत की दिशा में एक कदम बताया.
प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहीं महबूबा ने स्पष्ट किया कि संवाद प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाना केन्द्र के हाथ में है. उन्होंने कहा कि उसे विश्वास बहाली की शुरुआत और लोगों को चैन से जीने देना चाहिए. साथ ही उसे लोगों की नौकरियों और जमीन की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. महबूबा ने साक्षात्कार में कहा कि लोगों को चैन से जीने देने से मेरा मतलब है कि आज असहमति रखने वाले किसी भी पक्ष को जेल में डाले जाने का खतरा रहता है. हाल ही में एक व्यक्ति को अपने भाव प्रकट करने के लिए जेल में डाल दिया गया कि उसे कश्मीरी सलाहकार से बहुत उम्मीदें थीं. संबंधित उपायुक्त ने यह सुनिश्चित किया कि उसे अदालत से जमानत मिलने के बावजूद कुछ दिन जेल में रखा जाए.
महबूबा ने कहा कि जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह दिल की दूरी मिटाना चाहते हैं तो इस तरह के दमन का तत्काल अंत हो जाना चाहिए. गौरतलब है कि ऐतिहासिक बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर की जनता को दिल्ली के करीब लाने के लिए दिल्ली की दूरी के साथ-साथ दिल की दूरी मिटाना चाहते हैं. पीडीपी प्रमुख ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के अवाम के साथ दिल की दूरी कम करने के लिए सभी काले कानूनों को पारित करना बंद करना होगा. नौकरियों और भूमि अधिकारों की रक्षा करना होगी. उन्होंने कहा कि पहली और सबसे जरूरी बात यह है कि इस अविश्वास वाले युग का अंत होना चाहिए. सरकार को यह समझना चाहिए कि अस्वीकृति प्रकट करना आपराधिक कृत्य नहीं है. पूरा जम्मू-कश्मीर राज्य और मैं इसे केवल एक ऐसा राज्य कहूंगी, जो जेल बन गया है.