सिरमौर : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 73वीं पुण्यतिथि पर शनिवार को देशवासियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. नाथूराम गोडसे ने आज ही के 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या की दी थी. जिससे पूरा देश शोक में डूब गया था.
गोडसे गांधीजी को गोली मार उनकी सांस रोकने में तो सफल रहा, लेकिन गांधीजी केवल व्यक्ति ही नहीं बल्कि खुद में एक विशाल संस्था थे. यही वजह है कि उनकी सोच और विचार आज तक जीवित हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद साल 1951-52 में देशभर में गांधीजी के मंदिर बनाने की मुहिम शुरू हुई.
सिरमौर के अंबोया में राष्ट्रपिता का मंदिर
इस मुहिम के तहत हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के अंबोया गांव में गांधीजी का मंदिर बनाया गया. पूरे उत्तर भारत में अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह एक मात्र मंदिर है. इस गांव के लोग महात्मा गांधी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना करते हैं. महात्मा गांधी के मंदिर के आसपास रहने वाले लोग बापू को भगवान से कम नहीं मानते.
यही कारण है कि इस मंदिर में रोजाना गांधीजी की पूजा की जाती है. साल में दो दिन विशेष रूप से गांधीजी को याद किया जाता है. पिछले कई दशकों से यहां इस दिन मेले का भी आयोजन होता है, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से मेला आयोजित नहीं हो सका.
नेताओं से खफा ग्रामीण
अंबोया गांव के लोग प्रदेश के नेताओं से भी खासे खफा हैं. ग्रामीणों का मानना है कि नेता गांधीजी के नाम पर राजनीति तो करते हैं, लेकिन वह कभी इस मंदिर में नहीं आते. सरकार की अनदेखी के कारण मंदिर को पहचान नहीं मिल सकी है. गांव के लोग चाहते हैं कि यहां नेता और प्रशासनिक अधिकारी समय-समय पर आते रहें, ताकि इस मंदिर की ओर भी ध्यान दिया जा सके.