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पुण्यतिथि विशेष : आजादी की अलख जगाने यहां 10 बार पहुंचे थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी - mahatma gandhi shimla connection

आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 73वीं पुण्यतिथि है. 30 जनवरी 1948 के दिन उनकी हत्या कर दी गई थी. बापू का हिमाचल से भी गहरा नाता रहा था. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान ऐतिहासिक पहाड़ी शहर शिमला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली रही. देश को आजादी मिलने से पहले बापू ने शिमला की दस यात्राएं की थीं.

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Published : Jan 30, 2021, 4:49 PM IST

शिमला : आज यानी 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 73वीं पुण्यतिथि है. 30 जनवरी 1948 के दिन उनकी हत्या कर दी गई थी. बापू की पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत देश के तमाम बड़े तेनाओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को आज पूरा देश याद कर रहा है. बापू का हिमाचल से भी गहरा नाता रहा है. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान ऐतिहासिक पहाड़ी शहर शिमला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली रही है. देश को आजादी मिलने से पहले बापू ने शिमला की दस यात्राएं कीं. उनकी अधिकांश यात्राएं ब्रिटिश हुक्मरानों के साथ चर्चा से संबंधित थी. कुछ चर्चाएं विभिन्न कानूनों को लेकर थीं.

शिमला में चला था मुकदमा

ये दिलचस्प तथ्य है कि आजाद भारत में महात्मा ने शिमला की कोई यात्रा नहीं की. ये बात अलग है कि गांधी वध का ट्रायल शिमला में ही हुआ. मौजूदा समय में हिमाचल के राज्य अतिथिगृह पीटरहॉफ में गांधी वध का मुकदमा चला था, जो उस समय पंजाब हाई कोर्ट कहलाता था. खैर, शिमला के लिए ये गर्व की बात है कि ऐसी शख्सियत ने शिमला की दस यात्राएं कीं. जिसने समूची मानवता को गहरे तक प्रभावित किया. शिमला प्रवास के दौरान महात्मा गांधी मेनरविले में ठहरते थे. मेनरविले राजकुमारी अमृत कौर की संपत्ति रही है. वर्ष 1935 में महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के संपर्क में आए. उसके बाद से तो शिमला में मेनरविले महात्मा गांधी का नियमित ठहराव बन गया. वर्ष 1935 के बाद महात्मा गांधी वर्ष 1939 में दो बार, 1940 में चार बार और एक बार 1945 में यहां आए.

गांधी जी की बकरी का खास इंतजाम

गांधी की शिमला यात्रा से जुड़ा एक रोचक तथ्य है. ब्रिटिश वायसराय लार्ड वेवल के समय उनके एडीसी पीटर कोट्स ने गांधी जी की एक यात्रा के विवरण में लिखा है कि उन्हें गांधी जी की बकरी के लिए एक गैराज का इंतजाम करना पड़ा. जून 1945 में शिमला कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की बात है. कोट्स ने लिखा- मुझे यहां कई काम करने हैं. इन अनगिनत कार्यों की सूची में मुझे गांधी जी के लिए निवास की व्यवस्था करनी है. एक निवास अलग से नेहरू के लिए चाहिए, क्योंकि वे किसी के साथ नहीं रहेंगे. एक गैराज का इंतजाम गांधी जी की बकरी के लिए भी. ये सब होने के बाद ही उम्मीद की जा सकती है कि गांधी जी आएंगे. इतना होने के बाद गांधी जी आए, तो कोट्स ने लिखा कि वे उस घर में नहीं ठहरे जिसमें व्यवस्था की गई थी, बल्कि वे राजकुमारी अमृत कौर के निवास में रहे. ये शिमला में गांधी का सबसे लंबा प्रवास था. इस प्रवास में वे शिमला में 26 जून से 17 जुलाई तक रहे.

पहली यात्रा 1921 में की

महात्मा गांधी की पहली शिमला यात्रा वर्ष 1921 में हुई. उस यात्रा में वे चक्कर में शांत कुटीर में ठहरे थे. तब ये मकान होशियारपुर के साधु आश्रम की संपत्ति थी. महात्मा गांधी की दूसरी व तीसरी यात्रा 1931 में हुई. इस यात्रा में वे जाखू में फरग्रोव इमारत में ठहरे. इस समय ये मच्छी वाली कोठी के नाम से विख्यात है. अपनी अगली यात्रा में बापू क्लीव लैंड में ठहरे. ये विधानसभा के समीप एक इमारत थी. तीसरी यात्रा अगस्त 1931 में हुई थी. महात्मा गांधी अपनी अंतिम शिमला यात्रा के दौरान 1946 में आए. ये यात्रा दो हफ्ते की थी. इस दौरान वे समरहिल में चैडविक इमारत में ठहरे. गांधीज पैशन: दि लाइफ एंड लीगेसी ऑफ महात्मा गांधी में स्टेनले वोलपोर्ट ने भी इन यात्राओं की तस्दीक की है.

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दो यात्राओं का नहीं है ब्योरा

शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पृष्ठ भाग पर उनकी शिमला यात्राओं का विवरण दर्ज है. परंतु इसमें भी उनकी वर्ष 1939 की दो यात्राओं का ब्योरा नहीं है. वर्ष 1939 में महात्मा गांधी ने दो बार शिमला की यात्राएं की थीं. सितंबर 4 व सितंबर 26 को बापू शिमला आए थे. उनकी यात्राओं का मकसद तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो से मुलाकात करना था. उस समय गांधी जी राजकुमारी अमृत कौर के समरहिल स्थित निवास मेनरविले में ठहरे थे.

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