हैदराबाद/उज्जैन :आज महाशिवरात्रि का महापर्व देशभर में धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. भगवान शिव की उपासना में इस दिन व्रत करने की मान्यता होती है. वर्ष भर में 12 शिवरात्रियां आती हैं . हालांकि, फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है।.आज देश के अधिकांश शिव मंदिरों से बम-बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है. आईए इस पावन मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में चलते हैं और जानते हैं कि कैसे भोले के भक्त शिव भक्ति मे डूबे हुए हैं....
महाकाल मंदिर में शिव की पूजा
पूरे देश में महाशिवरात्रि का पर्व पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ धूम-धाम से मनाया जा रहा है. भगवान शिव के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन किसी महापर्व से कम नहीं होता. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में विशेष अभिषेक और श्रृंगार हुआ है. भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन शिव मय दिखाई दे रही है. महाशिवरात्रि पर्व पर महाकाल मंदिर में सबसे पहले अल सुबह 3 बजे मंदिर की पट खोले गए. इसके बाद सबसे पहले भस्म आरती की गयी, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए.
दूध, दही, घी से बाबा का हुआ जलाअभिषेक
महाशिवरात्रि के दिन बाबा महाकाल के दर्शन और उनका मंत्र जाप करने से विशेष फल मिलता है. इसी परंपरा के तहत आज मंदिर में विशेष तैयारियों के साथ पूजा-पाठ और आरती हो रही है. महाकाल की भस्म आरती में सबसे पहले भगवान महाकाल को पण्डे पुजारियों ने जल चढ़ाया, इसके बाद पंचामृत अभिषेक पूजन में दूध, दही, घी, शक्कर, फलों के रस से अभिषेक किया गया. इस दौरान महाकाल का भांग से अद्भुत श्रृंगार किया गया. भगवान महाकाल को भस्म चढ़ायी गयी. महाशिवरात्रि पर्व पर विधि विधान के साथ धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है.
महाशिवरात्रि पर उज्जैन में आज बाबा महाकाल हुआ भांग से विशेष श्रृंगार, करिए बाबा के भव्य रूप के दर्शन
महाकाल को 'कालों का काल' कहा जाता है
बारह ज्योतर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर दक्षिण मुखी होने के साथ-साथ यहां की भस्म आरती की परम्परा ने मंदिर का पूरे विश्व में महत्व बढ़ा दिया है. इसके साथ ही यह भी मान्यता है की महाकाल को कालों का काल कहा जाता है. महाशिवरात्रि का पर्व उज्जैन में अलग महत्व रखता है. देशभर से श्रद्धालु आज उज्जैन पंहुच रहे हैं. देर रात 2 बजे से मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की लाइन लगनी शुरू हो गयी थी. आज रात 3 बजे से खोले गए पट अब करीब 43 घंटे बाद 2 फरवरी की रात्रि को शयन आरती के बाद बंद होंगे. आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और कई नेताओं के आने की संभावना है.
देवघर
महाशिवरात्रि पर बाबा बैद्यनाथधाम मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. भक्तों में काफी उत्साह नजर आ रहा है. श्रद्धालु अहले सुबह से ही मंदिर पहुंचकर अपने आराध्य भगवान शिव की पूजा अर्चना कर रहे हैं. शाम में शिव-पार्वती के विवाह का आयोजन है. कल से ही दूर-दराज के भक्त देवघर पहुंच चुके थें. भक्तों की भीड़ को देखते हुए जिले के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री (Deoghar DC Manjunath Bhajantri) खुद मंदिर से लेकर रूट लाइन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और व्यवस्था की कमान संभाले हुए हैं. सुगमता पूर्वक जलार्पण हो सके इसके लिए क्यू कॉम्प्लेक्स से लेकर संस्कार मंडप होते हुए भक्तों को मंदिर तक लाया जा रहा है.
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क्या कहते हैं जिला के उपायुक्त: देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि भक्तों को आसानी से मंदिर तक पहुंचाया जा रहा है. कहीं से कोई परेशानी नहीं है. लोग आसानी से पूजा अर्चना कर सके इसकी पुख्ता व्यवस्था की गई थी और सब कुछ व्यवस्थित ढंग से चल रहा है.
चार साल बाद बन रहा महाशिवरात्रि पर पंचग्रही योग: भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा दिन महाशिवरात्रि होता है. ना सिर्फ झारखंड में बल्कि देशभर में यह महपर्व धूमधाम से मनाई जा रही है. शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. हर साल फाल्गुन माह में मनाए जाने वाला शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है. हालांकि, महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) पर पंचग्रही योग से इस बार पर्व का महत्व बढ़ गया है. 4 साल बाद शुभ मुहूर्त और संयोग के साथ ही पंचग्रही योग भी बन रहा है. इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से उनका आशीर्वाद मिलेगा.
गोरखपुर:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा गोरखनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को बाबा गोरखनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक और पूजा अर्चना की. इस दौरान उन्होंने जग के कल्याण और यूपी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत की कामना भी की. योगी प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर स्थित शिवलिंग पर जहां रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करते हैं वहीं भरोहियां स्थित पीतेश्वर महादेव का दर्शन पूजन भी उनके द्वारा किया जाता है. चुनावी व्यस्तता और छठे चरण के आज अंतिम दिन प्रचार पर इसके बाद योगी आदित्यनाथ निकलेंगे.
गोरखपुर में सहजनवा, चौरी-चौरा विधानसभा क्षेत्र में उनकी दो जनसभाएं लगी हैं. इसके अलावा सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज, इटवा, संत कबीर नगर की हैसर समेत कई विधानसभाओं पर योगी आज तूफानी प्रचार करेंगे. जहां आज शाम गोरखपुर-बस्ती मंडल क्षेत्र में प्रचार अभियान थम जाएगा. इसलिए अपने चुनावी जनसभा पर निकलने से पहले योगी आदित्यनाथ ने देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक-रुद्राभिषेक किया.
क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक धार्मिक त्योहार है, जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता महादेव अर्थात शिव जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस दिन शिवभक्त एवं शिव में श्रद्धा रखने वाले लोग व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं. महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं प्रचलित हैं. ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन ही ब्रम्हा के रूद्र रूप में मध्यरात्रि को भगवान शंकर का अवतरण हुआ था.
वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपना तीसरा नेत्र खोला था और ब्रम्हांड को इस नेत्र की ज्वाला से समाप्त किया था. इसके अलावा कई स्थानों पर इस दिन को भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है और यह माना जाता है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था.
वैसे तो प्रत्येक माह में एक शिवरात्रि होती है, परंतु फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली इस शिवरात्रि का अत्यंत महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. वास्तव में महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानती है.
महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का विभिन्न पवित्र वस्तुओं से पूजन एवं अभिषेक किया जाता है और बेलपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि अर्पित किया जाता है. भगवान शिव को भांग बेहद प्रिय है अत: कई लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं. दिनभर उपवास रखकर पूजन करने के बाद शाम के समय फलाहार किया जाता है. शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भोले को खुश कर लिया तो आपके सारे काम सफल होते हैं और सुख समृद्धि आती है. भोले के भक्त शिवरात्रि के दिन कई तरह से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं. शिव को खुश करने के लिए शिवालयों में भक्तों का तांता लगा होता है, जो बेल पत्र और जल चढ़ाकर शिव की महिमा गाते हैं.
हर साल यह पर्व फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल महाशिवरात्रि पर्व 1 मार्च यानी आज है. इस बार महाशिवरात्रि पर दो शुभ संयोग बनने के साथ पंचग्रही योग भी बन रहा है. ऐसे में शुभ संयोग में महाशिवरात्रि पर शिव आराधना करने पर सभी भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होंगी. दरअसल महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं.
शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन ज्योतिष उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं. महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है. इस दिन का प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है. कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता है. महाशिवरात्रि में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष तो शांत होते हैं, विशेष करके चंद्रजनित दोष जैसे मानसिक अशान्ति, मां के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलम्ब, हृदय रोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग, नजला-जुकाम, स्वांस रोग, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ती है. शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है. भांग अर्पण से घर की अशांति, प्रेत बाधा तथा चिंता दूर होती है. मंदार पुष्प से नेत्र और ह्रदय विकार दूर रहते हैं. शिवलिंग पर धतूर के पुष्प-फल चढ़ाने से दवाओं के रिएक्शन तथा विषैले जीवों से खतरा समाप्त हो जाता है. शमीपत्र चढ़ाने से शनि की शाढ़ेसाती, मारकेश तथा अशुभ ग्रह-गोचर से हानि नहीं होती. इसलिए श्रीमहाशिवरात्रि के एक-एक क्षण का सदुपयोग करें और शिवकृपा प्रसाद से त्रिबिध तापों से मुक्ति पायें.
महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3:16 बजे से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी. शिवरात्रि की रात को पूजा 4 पहर में की जाती है. पहले पहर की पूजा शाम 6:23 बजे से रात्रि 9:31 बजे के बीच की जाएगी. दूसरे पहर की पूजा रात 9:32 बजे से 12:39 बजे के बीच, तीसरे पहर की पूजा रात 12:40 बजे से सुबह 3:47 बजे के बीच और चौथे पहर की पूजा 3:48 बजे से 6:54 बजे के बीच की जाएगी. महाशिवरात्रि के दिन सुबह 11.47 बजे से दोपहर 12.34 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. इसके बाद दोपहर 02.07 बजे से लेकर 02.53 बजे तक विजय मुहूर्त रहेगा. पूजा या कोई शुभ कार्य करने के लिए ये दोनों ही मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं. शाम के वक्त 05.48 से 06.12 तक गोधूलि मुहूर्त रहने वाला है.
शुभ मुहूर्त-
अगर किसी को अपना सूर्य मजबूत करना है सरकारी कामों में सफलता प्राप्त करनी है तो तांबे के लोटे में जल मिश्रित गुण से शिवलिंग का अभिषेक करें. वैवाहिक जीवन मधुर बनाने के लिए जोड़े से पति पत्नी शिवलिंग का अभिषेक करें. अगर आपकी कुंडली में मंगल पीड़ित है तो शिवलिंग का अभिषेक हल्दी मिश्रित जल से करें. अगर आपकी कुंडली में बुध की स्थिति खराब है तो शिव पार्वती की पूजा करें. पूजन के बाद 7 कन्याओं को भोजन कराएं एवं जल और तुलसी पत्र चढ़ाएं. कुंडली में शुक्र को मजबूत करने के लिए दूध-दही से अभिषेक करें. कुंडली में शनि ग्रह पीड़ित है तो सरसों के तेल से अभिषेक करें. राहु ग्रह को मजबूत करने के लिए जल में 7 दाना जौ मिलाकर अभिषेक करें. केतु को मजबूत करने के लिए जल में शहद मिलाएं. केतु ग्रह को मजबूत करने के लिए जल में शहद मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें. कुंडली में चंद्रमा को मजबूत करने के लिए कच्चे दूध से अभिषेक करें. गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए अपने माथे पर और नाभि पर केसर का तिलक लगाएं. केसर मिश्रित जल चढ़ाएं शिवलिंग में सबसे ज्यादा एनर्जी पाई जाती है. इसके साथ 108 बार ॐ नमः शिवाय मंत्र मंत्र का जाप करें. महाशिवरात्रि पर करें ये विषेश उपाय.
शिव पूजा का महत्व:भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होकर उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं.
शिवरात्रि का पौराणिक महत्व:पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था. मान्यता यह भी है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था.
महाशिवरात्रि पूजा विधि:शिवपुराण के अनुसार व्रती को प्रातः काल उठकर स्नान संध्या कर्म से निवृत्त होकर मस्तक पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्षमाला धारण कर शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं शिव को नमस्कार करना चाहिए. तत्पश्चात उसे श्रद्धापूर्वक व्रत का इस प्रकार संकल्प करना चाहिए.
हल्दी का टीका:शिवरात्री पर भगत मंदिर में हल्दी के जरिए भगवान शिव को टीका लगाते हैं. वैसे भी लगभग हर धार्मिक कार्य में हल्दी का प्रयेाग किया जाता है. लेकिन भगवान शिव को हल्दी अर्पित नहीं की जाती. इसका कारण है कि कि ऐसा हल्दी एक स्त्री सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग की जाते वाली वस्त है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है.