नई दिल्ली : महाभारत जैसे महाकाव्य के रचयिता व वेदों का विभाजन करके ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद जैसा नामकरण करने वाले वेद व्यास जी का पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन था. कहा जाता है कि उनका जन्म दो द्वीपों के बीच हुए था, इसलिए उनको द्वैपायन कहा जाता है. वेदों के महापंडित होने और वेदों को सरल करके चार भागों में विभाजित करने के कारण ही उनको वेद व्यास कहा जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि महर्षि वेद व्यास त्रिकालज्ञ महात्मा थे. इसके कारण उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से यह देख कर जान लिया था कि कलियुग में धर्म धीरे-धीरे क्षीण हो जाएगा. धर्म के क्षीण होने का असर मनुष्यों पर पड़ेगा औक मनुष्य नास्तिक, कर्तव्यहीन और अल्पायु होने लगेगा. एक विशाल वेद का अध्ययन उनके सामर्थ्य की बात नहीं होगी. ऐसे में वेद भी नष्ट हो जाएंगे. इसीलिये महर्षि व्यास ने वेद का चार भागों में विभाजित करने की योजना बनायी ताकि कम बुद्धि एवं कम स्मरणशक्ति रखने वाले लोग भी वेदों का अध्ययन कर पाएं. इसके लिए उन्होंने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का नाम दिया. कहते हैं कि वेदों का विभाजन करने के कारण ही कृष्ण द्वैपायन को वेद व्यास कहा जाने लगा और वे वेद व्यास के नाम से जगत में विख्यात हुये.