विवेक ने किया सात साल संघर्ष देहरादून: महाराष्ट्र के विवेक झाड़े को एक बार फिर भारतीय सैन्य अकादमी में अफसर बनने के साथ ही अपने वह 7 साल याद आ गए, जो फौज में अफसर बनने का मूल मंत्र थे. दरअसल, विवेक ने आज जो दो सितारे अपने कंधों पर सजाए हैं, उसके पीछे उसका वह 7 साल का संघर्ष था जिसकी बदौलत उसने अकादमी और फिर सेना में अफसर बनने का सफर तय किया.
भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होते हुए फौज में अधिकारी बनने के इस सफर के लिए तमाम जेंटलमैन कैडेट्स ने अपने जीवन के कई साल संघर्ष में बिताए हैं. विवेक झाड़े ने इस पल के लिए अपने जीवन के 7 सालों को संघर्ष के साथ बिताये. विवेक महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. उन्होंने 2016 से 2023 के बीच कड़ी मेहनत की. इस दौरान उन्होंने कभी भी खुद को अपने मकसद से अलग नहीं होने दिया. विवेक बताते हैं आज जो सितारे पीपिंग सेरेमनी के दौरान उन्हें पहनाए गए हैं उन्हें पाने के लिए ही 7 साल कड़ा संघर्ष किया है.
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इस दौरान विवेक भारतीय सैन्य अकादमी के कठिन प्रशिक्षण का भी जिक्र करना नहीं भूलते. विवेक कहते हैं भारतीय सैन्य अकादमी देश की सबसे बेहतर अकादमी में से एक है. अकादमी से ही फौज में एक शानदार अफसर बनने का रास्ता तैयार होता है. विवेक बताते हैं यह एक ऐसा संस्थान जहां कई देशों के जेंटलमैन कैडेट्स प्रशिक्षण लेते हैं. उन्होंने कहा यहां प्रशिक्षण लेकर पास आउट होना गौरव की अनुभूति दिलाता है. भारतीय सैन्य अकादमी में जेंटलमैन कैडेट्स को 24 घंटे व्यस्त रखा जाता है. मानसिक के साथ-साथ शारीरिक परिश्रम से भी जोड़ा जाता है.
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विवेक अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि उन्होंने 2016 से इसके लिए तैयारी शुरू की थी. 2019 में उन्होंने एनडीए क्रैक किया. फिर एक साल के लिए आईएमए में प्रशिक्षण लिया. युवाओं को सीख देते हुए विवेक कहते हैं कि अपने मुकाम को पाने के लिए केवल गोल पर ही निगाहें होनी चाहिए. किसी भी असफलता को पूरी तरह से नजर अंदाज करके ही सफलता को पाया जा सकता है.
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वहीं, इस मौके पर विवेक की मां कहती है वह अपने बच्चों को बचपन से अपने दम पर ही कुछ करने की सीख देती आई हैं. उन्होंने कहा किसी भी चीज को हासिल करने का मेहनत एकमात्र रास्ता है. विवेक की मां ने कहा उसने 7 साल बहुत ज्यादा संघर्ष किया. उन संघर्ष के पलों को हम नहीं भूल सकते. विवेक की मां कहती हैं यदि परवरिश अच्छी हो तो मां-बाप को यह दिन देखना ही होता है.
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भारतीय सैन्य अकादमी में अपने बेटे को पास आउट होता देखने के लिए पहुंचे विवेक झाड़े के पिता पंडित राव झाड़े कहते हैं वह खुद भी एक एक्स सर्विसमैन हैं. फौज से उनका पुराना नाता है. वह चाहते थे कि उनका बेटा भी सेना का ही हिस्सा बने. इसके लिए उन्होंने विवेक को बचपन से ही इसके लिए मोटिवेट किया. विवेक केंद्रीय विद्यालय में पढ़ा. उसे हर प्रतियोगिता में परीक्षा के लिए शामिल करवाया. विवेक ने भी खूब संघर्ष किया. जिसका अब फल मिल रहा है.