नई दिल्ली:महाराष्ट्र में चल रहे बड़े सियासी ड्रामे के बावजूद भारतीय जनता पार्टी नापतोल कर बयान दे रही है. यही नहीं, सूत्रों की मानें तो पार्टी ने अपने तमाम पदाधिकारियों और प्रवक्ताओं को शिवसेना पर खुलकर अनर्गल बयानबाजी से साफ मना भी किया है. इससे दो बातें साफ होती हैं- एक तो ये कि भारतीय जनता पार्टी इस बार 'वेट एंड वॉच' की नीति अपना रही है और पार्टी चाहती है कि शिंदे पहले सदन में विश्वास मत हासिल कर लें. उसके बाद भाजपा अपने पत्ते खोले. दूसरी तरफ भविष्य की आशंकाओं को देखते हुए पार्टी शिवसेना के खिलाफ भी अपने नेताओं को अनर्गल बयानबाजी करने से इसलिए रोक रही है क्योंकि उसे लग रहा है कि कल को उसे शिवसेना के साथ भी हाथ मिलाना पड़ सकता है.
2019 में देवेंद्र फडणवीस ने आनन फानन में आकर मुख्यमंत्री की शपथ ले ली थी और तीन दिन के बाद ही उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. इसलिए बीजेपी इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. वहीं 16 विधायकों को शिवसेना की तरफ से दी गई नोटिस ने शिंदे के लिए मुश्किलें जरूर बढ़ा दी है. एकनाथ शिंदे हालांकि शिवसेना के 55 में से 45 विधायकों के अपने साथ होने का दावा कर रहे हैं. मगर पहले विधायकों के सुरक्षाकर्मियों और निजी सचिवों को कारण बताओ नोटिस और उसके बाद 16 विधायकों को शिवसेना की नोटिस से सारा परिदृश्य संवैधानिक संकट की ओर बढ़ता जा रहा है. ऐसे में बीजेपी के आला नेता नजर तो बनाए हुए हैं मगर जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहते.