नई दिल्ली :चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे गुट को देने के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे गुट को दिल्ली में एक और बड़ा झटका लगा है. संसद भवन में शिवसेना को आवंटित दफ्तर भी अब उद्धव ठाकरे गुट से छीन गया है. लोकसभा सचिवालय ने संसद भवन स्थित शिवसेना के दफ्तर को एकनाथ शिंदे नीत धड़े को आवंटित कर दिया है. एकनाथ शिंदे गुट की मांग पर लोक सभा सचिवालय ने संसद भवन में शिवसेना संसदीय दल को आवंटित कमरा नंबर-128, एकनाथ शिंदे गुट को आवंटित किया है.
गौरतलब है कि 18 फरवरी को शेवाले ने लोकसभा सचिवालय को पार्टी के लिए कार्यालय आवंटित करने को लेकर पत्र लिखा था. अब तक संसद भवन स्थित संबंधित कार्यालय का दोनों धड़े उपयोग करते थे. लोक सभा सचिवालय ने सदन में शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता राहुल रमेश शेवाले के पत्र के जवाब में लोकसभा सचिवालय ने कहा कि संसद भवन में शिवसेना कार्यालय के लिए निर्धारित कक्ष पार्टी को आवंटित किया गया है. निर्वाचन आयोग ने पिछले सप्ताह एकनाथ शिंदे नीत धड़े को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे चुनाव चिह्न 'तीर-धनुष' भी आवंटित किया था. संसद भवन में आवंटित इस कार्यालय के छिन जाने को उद्धव ठाकरे गुट के लिए एक और बड़ा झटका माना जा रहा है.
बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र में भी शिंदे गुट ने शिवसेना के विधानसभा में दफ्तर पर कब्जा जमाया था. असली शिवसेना घोषित किए जाने और 'तीर-धनुष' का चुनाव चिह्न दिए जाने के चार दिन बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के नेता महाराष्ट्र विधानमंडल में पार्टी कार्यालय पहुंचे. मुख्य सचेतक भरत गोगावाले के नेतृत्व में विधायक अगले सप्ताह यहां शुरू हो रहे आगामी बजट सत्र से पहले एक विशेष बैठक के लिए शिवसेना कार्यालय परिसर में पहुंचे.
शिंदे समूह के विधायकों ने स्पीकर राहुल नार्वेकर से मुलाकात की और इस मामले में संचार का आदान-प्रदान किया था, और कार्यालय के आवंटन की मांग की थी. पार्टी की नजर नागपुर विधान भवन में पार्टी कार्यालय, मुंबई में पार्टी मुख्यालय शिवालय, बाकी हिस्सों में 200 से अधिक 'शाखाएं', विभिन्न निकायों में शिवसेना कार्यालय और पिछले 56 वर्षों में पार्टी द्वारा स्थापित अन्य संपत्तियों पर भी है. हालांकि, वर्तमान संकेतों के अनुसार, शिंदे समूह दादर में प्रतिष्ठित शिवसेना भवन की लालसा नहीं कर सकता, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नियंत्रण में है.
कई विधायकों ने शुक्रवार 17 फरवरी के अपने फैसले के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) की सराहना की, जिसने ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के दावों के खिलाफ 'असली' शिवसेना के रूप में मान्यता दी. ठाकरे समूह ने सोमवार को चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और विधायकों की अयोग्यता के लंबित मामले का फैसला शीर्ष अदालत द्वारा किए जाने तक इसके कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है और इस मामले की मंगलवार को सुनवाई होने की संभावना है.
(पीटीआई-आईएएनएस)