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बहुमत खो दिया है, तो उद्धव को इस्तीफा दे देना चाहिए: संविधान विशेषज्ञ

शिवसेना सांसद संजय राउत के इस बयान के बाद कि महाराष्ट्र विधानसभा भंग की जा सकती है इस पर बहस शुरू हो गई है. क्या महाराष्ट्र में फिलहाल ऐसी संवैधानिक स्थिति है कि असेबली भंग की जाए. इस बारे में ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी ने मशहूर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से बात की.

उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे

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Published : Jun 22, 2022, 2:28 PM IST

Updated : Jun 22, 2022, 3:30 PM IST

नई दिल्ली:महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार को लेकर नाराज हुए शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनके पास 40 से ज़्यादा विधायक हैं. जाहिर सी बात है कि महाराष्ट्र में जोड़तोड़ से बीजेपी की सरकार बनाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं. इस बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने बयान दिया है कि शायद महाराष्ट्र विधानसभा भंग की जा सकती है. राउत के इस बयान के बाद अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि शिवसेना अब अगला क्या कदम उठाएगी.

इस मसले पर ईटीवी भारत ने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से बात की. उनका कहना है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास अगर बहुमत नहीं है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, इसके अलावा कोई विकल्प उनके पास नहीं है. मुख्यमंत्री विधानसभा भंग करने की राज्य के राज्यपाल से केवल सिफारिश कर सकते हैं. विधानसभा भंग करने की शक्ति गवर्नर के पास होती है. ये भी तब होगा जब राज्य का मुख्यमंत्री सदन को भंग करने की सिफारिश करे. सिफारिश मिलने के बाद गवर्नर आश्वस्त होना चाहेंगे कि सरकार को सदन में बहुमत प्राप्त है या नहीं.

उन्होंने कहा कि गवर्नर को संशय हो तो वे सरकार से कहेंगे कि वे सदन में अपना बहुमत सिद्ध करें. अगर सदन में सरकार को बहुमत प्राप्त नहीं है, तो सरकार गिर जाएगी और मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ेगा. इसमें स्पीकर का कोई रोल नहीं होता, सिवाय सदन की कार्यवाही का प्रबंधन करने के. महाराष्ट्र विधानसभा में फिलहाल स्पीकर है नहीं, इसलिए डिप्टी स्पीकर का भी वही रोल होगा जो सामान्य तौर पर स्पीकर का होता है.

ये पूछने पर कि फिलहाल गवर्नर भी अस्वस्थ हैं, तो इस स्थिति में क्या होगा, सुभाष कश्यप ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में गवर्नर अपना फैसला कुछ दिनों के लिए टाल सकते हैं, जब तक वे स्वस्थ न हो जाएं. ये भी हो सकता है कि वे केंद्र सरकार से कहें कि वे अभी कार्य कर सकने की स्थिति में नहीं हैं और ये कार्य किसी और को दिया जाए. ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति आसपास के किसी राज्य के गवर्नर को ये अधिकार दे सकते हैं, या उस राज्य के हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस को भी इस कार्य की जिम्मेदारी दी जा सकती है.

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फिलहाल इस स्थिति में राज्य में कोई संवैधानिक संकट नहीं है. संविधान के हिसाब से बहुमत अगर किसी सरकार ने खो दिया है, तो उस सरकार को हटना होगा, पूरी विधानसभा भंग नहीं की जाएगी. वैसे शिवसेना एक दूसरे संकट से गुजर रही है. एकनाथ शिंदे के पास अगर शिवसेना के कुल विधायकों के दो तिहाई विधायकों का समर्थन हुआ , तो एक अलग पार्टी बन सकती है. सुप्रीम कोर्ट के मशहूर एडवोकेट और संविधान विशेषज्ञ अश्विनी दुबे का कहना है कि ऐसी परिस्थिति में सदन के पटल पर ही शक्ति परीक्षण होगा और अगर एकनाथ शिंदे को दो तिहाई विधायकों का समर्थन प्राप्त हुआ दिख जाएगा, तो वे दलबदल कानून के अंतर्गत शिवसेना के अलग हुए धड़े के सदन में नेता मान लिए जाएंगे. लेकिन असली शिवसेना कौन सी है, इस बात का फैसला भारत का चुनाव आयोग करेगा.

Last Updated : Jun 22, 2022, 3:30 PM IST

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