बच्चा चोरी गैंग का पर्दाफाश परभणी जिला: महाराष्ट्र पुलिस ने आंध्र प्रदेश के एनटीआर जिले के जग्गायपेट में अपहरण गिरोह का पर्दाफाश करते हुए, एक अपहरण कांड के पीछे की सच्चाई और धोखाधड़ी की गतिविधियों का खुलासा किया है. इस मामले में पुलिस की जांच में सामने आया है कि एक साल पहले इस गिरोह द्वारा चार बच्चों का अपहरण किया गया था और लेकिन अब उन्हें उनके माता-पिता को सौंपने के लिए वापस लाया गया. बच्चा चोरी कांड से जुड़े मामले को सुलझाने की कोशिश में पुलिस ने चार राज्यों में बच्चों का अपहरण करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है.
ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र में सामने आया, जहां उन बच्चों का अपहरण कर लिया गया और बाद में आंध्र प्रदेश में एनटीआर जिले के जग्गैयापेट में उन्हें बरामद किया गया. महाराष्ट्र पुलिस वर्तमान माता-पिता से चारों बच्चों को वापस ले आई है और उन्हें जल्द ही उनके असली माता-पिता को सौंप दिया जाएगा. महाराष्ट्र पुलिस ने खुलासा किया है कि चार लड़कियों का अपहरण कर उन्हें बेचा गया था. पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि स्कूलों में बच्चों का अपहरण कर उन्हें बेऔलाद लोगों को बेच दिया जाता था.
पुलिस ने बताया कि तीन माह के अंतराल में तीन बच्चे लापता हो चुके हैं. फरवरी 2022 में महाराष्ट्र के परभणी जिले के कोतवाली थाने में गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज किया गया था. बता दें कि पुलिस थाने में अहमद यूनुस नाम के एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि उसका चार साल का बेटा हैदर गायब है. इसके अलावा, तीन महीने की अवधि में, यानी दिसंबर 2021 से फरवरी 2022 तक तीन गुमशुदगी के मामले दर्ज कराए गए.
जांच के बाद भी गुमशुदगी के मामले में पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला और मामला अनसुलझा ही रहा. अपहृत बच्चों के माता-पिता के दबाव के बाद के चलते एसपी के आदेश पर पुलिस जांच में जुट गई. जांच में पुलिस को पता चला कि बच्चे स्थानीय उर्दू स्कूल से गायब हो गए थे, जिसके बाद पुलिस ने स्कूल के शिक्षकों से पूछताछ की. इस दौरान पुलिस ने एक शिक्षिका की बहन के फोन कॉल को भी संदिग्ध पाया. पुलिस ने शिक्षिका से गहन पूछताछ की, जिससे कई अहम जानकारियां सामने आईं.
जब पुलिस ने शिक्षिका की बहन से पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया है. आरोपी महिला ने बताया कि वह हैदराबाद में संगीता नाम की एक अन्य महिला के संपर्क में थी. संगीता, जो गुजरात से है, वह अक्सर परभणी और हैदराबाद के बीच यात्रा करती हैं. जब पुलिस ने उससे पूछताछ की तो असल सच्चाई सामने आई. आरोपी महिला ने पूछताछ में बताया कि यह उतना सरल नहीं है जितना दिखता है, लेकिन बच्चों को अगवा करने और उन्हें अलग-अलग पार्टियों को बेचने की एक बड़ी प्रक्रिया है. यह सौदा करने की प्रक्रिया है जिसमें कमीशन शामिल है.
संगीता एक ऐसे गिरोह से जुड़ी है, जो अलग-अलग राज्यों में बच्चों का अपहरण कर उन्हें गुमनाम तरीके से बेचने का काम करता है. इसी तरह, संगीता की मुलाकात विजयवाड़ा की श्रावणी से हुई, जो हैदराबाद में प्रजनन केंद्रों में काम करती है. श्रावणी अंततः उन महिलाओं की पहचान करती है, जो भ्रूण दान करती हैं. वह जरूरतमंदों से बात करती है और अंत में एक सौदा करती है, जिसके बाद वह अग्रिम कमीशन लेती हैं. हाल ही में, संगीता ने श्रावणी से उन चार बच्चों के बारे में बात की, जिनका अपहरण कर लिया गया था.
इस सौदे से सहमत होकर, श्रावणी ने उन बच्चों को बेचने का फैसला किया, जिन लोगों को बच्चे नहीं थे. इसके अलावा, श्रावणी ने जांच में यह भी बताया कि जिस लड़के का महाराष्ट्र में अपहरण हुआ था, उसे आंध्र प्रदेश के एनटीआर जिले की शिल्पा नाम की एक महिला ने जग्गापेट में बेचा था, जो उसके साथ अच्छी तरह से परिचित है. महाराष्ट्र पुलिस ने श्रावणी और संगीता से पूछताछ की और उन्हें इस महीने की 5 तारीख को जग्गायपेट ले गई. स्थानीय पुलिस की मदद से आखिरकार उन्होंने हैदर नाम के लड़के के ठिकाने का पता लगा लिया.
जांच में, पुलिस ने पहचान की कि श्रावणी ने उस लड़के को शिल्पा नाम की महिला को 2 लाख में बेचा था और इसके बाद शिल्पा ने बदले में वत्सवई मंडल की नागुलमीरा और शाहिना बेगम को 3 लाख रुपये में बेच दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा परिवार लड़के को जग्गायपेट के एक स्कूल में पढ़ा रहा थे. रविवार को महाराष्ट्र पुलिस उसके स्कूल गई और बच्चे को अपने साथ वापस ले आई. महाराष्ट्र पुलिस ने जब उनसे पूछताछ की तो श्रावणी और शिल्पा ने कई बातों का खुलासा किया.
इसके बाद पुलिस बुधवार को फिर से जग्गायपेट आई. आरोपियों ने खुलासा किया कि अन्य तीनों बच्चों को जग्गायपेट इलाके में बेचा गया था. बाकी बच्चों को एनटीआर कमिश्नरेट पुलिस की मदद से ढूंढ निकाला गया. वत्सवई मंडल डेकुपलेम में सैयद मैबू और नागुलमीरा दंपति के साथ छह वर्षीय सुभानी, जग्गायपेट से जयलक्ष्मी और सत्यनारायण दंपति के साथ चार वर्षीय चरण और विसनपेट में सैयद सालेहा के साथ सात वर्षीय अरिश की पहचान की गई और बुधवार रात उन्हें वापस लाया गया.
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पुलिस जांच में सामने आया कि यह फ्रॉड महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर फैलाया गया था. महाराष्ट्र के परभणी जिले की संगीता ने उसी राज्य के नूरजहां, सुल्तान और समीर से हाथ मिलाया और बच्चों को दूसरे राज्यों में सप्लाई करने को अपना पेशा बना लिया. इसी पृष्ठभूमि में वह विजयवाड़ा की श्रावणी से मिलीं और बच्चों को शिल्पा के साथ मिल कर बेच दिया गया, जो जग्गईयापेट में रहती थी और विजयवाड़ा में एक नर्स के रूप में काम करती थी. पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि बच्चों को डेढ़ लाख से तीन लाख रुपये में बेचा गया.