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बॉम्बे HC ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को वीडियोकांफ्रेंसिंग के लिए 5 करोड़ रुपये के बजट का उपयोग करने को कहा

एक मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह महसूस किया कि राज्य के जेलों में कैदियों की पेशी के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) सुविधा नहीं है. जिससे कई बार उनके मामलों की सुनवाई में दिक्कत होती है. अब कोर्ट ने इसे लेकर एक आदेश जारी किया है. mumbai news, Maharashtra undertrial prisoners, Maharashtra undertrial, Maharashtra prisoners, bombay high court

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 16, 2023, 7:05 AM IST

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति भारती एच डांगरे ने बुधवार को विभिन्न अदालतों के समक्ष विचाराधीन कैदियों को पेश न करने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया. उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए भी गृह विभाग की ओर से जारी 28 नवंबर के सरकारी संकल्प (जीआर) के तहत स्वीकृत 5.33 करोड़ रुपये की राशि से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) सुविधा की स्थापना की जाये इसके लिए संबंधित बुनियादी ढांचे और उपकरणों की खरीद की जाये.

एकल-न्यायाधीश पीठ ने एक त्रिभुवनसिंग रघुनाथ यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश पारित किए. वकील विनोद काशिद ने दलील दी कि निचली अदालत में उनकी जमानत याचिका 23 बार स्थगित की गई थी क्योंकि उन्हें अदालत के सामने शारीरिक रूप से या वीडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश नहीं किया गया था.

पिछली सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने कहा था कि विचाराधीन कैदियों को शारीरिक रूप से अदालत में लाना समय, धन और संसाधनों की खपत करने वाली एक 'कठिन प्रक्रिया' है. इसके साथ ही अदालत ने कहा था कि उन्हें वीडियोकांफ्रेंसिंग मोड के माध्यम से पेश करके भी ऐसा किया जाना चाहिए. उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से आवश्यक धनराशि सुनिश्चित करने को भी कहा ताकि प्रत्येक अदालत स्क्रीन और अन्य वीडियोकांफ्रेंसिंग (वीसी) सुविधाओं से लैस हो सके.

बुधवार को, अतिरिक्त लोक अभियोजक एसआर अगरकर ने वीसी सुविधा की स्थापना और आवश्यक बुनियादी ढांचे की खरीद के लिए 28 नवंबर की जीआर रिकॉर्ड में रखी, जिसमें इसकी स्थापना के साथ कैमरे, एम्पलीफायर, ऑडियो इंटरफेस, केबल इत्यादि शामिल होंगे. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि जीआर को लोक अभियोजक के साथ-साथ विद्वान महाधिवक्ता के ध्यान में लाया जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्वीकृत राशि 31/03/2024 से पहले इस्तेमाल में लाई जा सके.

न्याय मित्र के रूप में नियुक्त अधिवक्ता सत्यव्रत जोशी ने कहा कि उन्होंने ठाणे जेल का दौरा किया और कहा कि विभिन्न अदालतों के समक्ष आरोपी व्यक्तियों की पेशी के लिए वीसी सुविधाएं संतोषजनक थीं. पीठ ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 437 के अनुसार, आरोपी यादव जमानत पर अपनी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकता है.

उच्च न्यायालय ने यादव को मजिस्ट्रेट से संपर्क करने के लिए अपनी जमानत याचिका वापस लेने की अनुमति दी और मजिस्ट्रेट की ओर से आदेश पारित होने के बाद उन्हें आगे कदम उठाने की स्वतंत्रता दी. इसके बाद न्यायमूर्ति डांगरे ने विभिन्न चरणों में उपयुक्त अदालतों के समक्ष विचाराधीन कैदियों को पेश करने के बड़े मुद्दे से संबंधित एमिकस नियुक्त करने के आदेश के मद्देनजर एक अलग स्वत: संज्ञान आवेदन शुरू किया.

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