मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति भारती एच डांगरे ने बुधवार को विभिन्न अदालतों के समक्ष विचाराधीन कैदियों को पेश न करने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया. उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए भी गृह विभाग की ओर से जारी 28 नवंबर के सरकारी संकल्प (जीआर) के तहत स्वीकृत 5.33 करोड़ रुपये की राशि से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) सुविधा की स्थापना की जाये इसके लिए संबंधित बुनियादी ढांचे और उपकरणों की खरीद की जाये.
एकल-न्यायाधीश पीठ ने एक त्रिभुवनसिंग रघुनाथ यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश पारित किए. वकील विनोद काशिद ने दलील दी कि निचली अदालत में उनकी जमानत याचिका 23 बार स्थगित की गई थी क्योंकि उन्हें अदालत के सामने शारीरिक रूप से या वीडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश नहीं किया गया था.
पिछली सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने कहा था कि विचाराधीन कैदियों को शारीरिक रूप से अदालत में लाना समय, धन और संसाधनों की खपत करने वाली एक 'कठिन प्रक्रिया' है. इसके साथ ही अदालत ने कहा था कि उन्हें वीडियोकांफ्रेंसिंग मोड के माध्यम से पेश करके भी ऐसा किया जाना चाहिए. उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से आवश्यक धनराशि सुनिश्चित करने को भी कहा ताकि प्रत्येक अदालत स्क्रीन और अन्य वीडियोकांफ्रेंसिंग (वीसी) सुविधाओं से लैस हो सके.