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बायोगैस संयंत्र से बिजली बनाने में महाराष्ट्र, कर्नाटक, एमपी और आंध्र प्रदेश अव्वल

केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि भारत सरकार बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए लगातार सब्सिडी दे रही है और पिछले तीन सालों में 105 करोड़ से ज्यादा की सब्सिडी राज्यों को दिया जा चुका है..

ऊर्जा मंत्री आरके सिंह
ऊर्जा मंत्री आरके सिंह

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Published : Mar 30, 2022, 10:18 AM IST

नई दिल्ली : चार राज्य अर्थात महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैव-अपशिष्ट से बिजली उत्पादन के लिए छोटे बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के मामले में अन्य राज्यों से काफी आगे हैं. केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में इसके आॉंकड़ें भी रखे हैं. उस ऑंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वर्षों के दौरान देश में स्थापित सभी बायोगैस संयंत्रों में इन चार राज्यों की हिस्सेदारी लगभग सत्तर प्रतिशत है.

महाराष्ट्र में लगभग 30% बायोगैस संयंत्र हैं. महाराष्ट्र देश में सबसे अधिक औद्योगिक और समृद्ध राज्यों में से एक है, जिसमें एक अच्छी तरह से विकसित कृषि आधार भी है. अप्रैल 2018-29 से मार्च 2021 (वित्त वर्ष 2018) के दौरान देश में स्थापित हर तीसरा संयंत्र बायो गैस संयंत्र है. राज्य सभा में नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वित्तीय वर्षों में महाराष्ट्र में कुल 23,260 छोटे जैव गैस संयंत्र स्थापित किए गए. महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक है जहां इस अवधि के दौरान 15,283 छोटे बायोगैस संयंत्र स्थापित किए गए. कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश में 8,440 और आंध्र प्रदेश में 7,311 संयंत्र हैं. भारत का गेहूं का कटोरा कहा जाने वाला सीमावर्ती राज्य पंजाब ने इस अवधि के दौरान 5,682 छोटे बायोगैस संयंत्र स्थापित किए हैं. पंजाब के बाद छत्तीसगढ़ जहां 4,252 संयंत्र लगे हैं.

हालांकि, पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा में सिर्फ 1,741 बायोगैस संयंत्रों के साथ बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के मामले में पिछड़ा है. पिछले तीन वर्षों के दौरान राज्य में 2,277 बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जाने के कारण पहाड़ी राज्य उत्तराखंड भी अपने प्रदर्शन के मामले में सबसे अलग है. हालांकि इसका पड़ोसी राज्य अर्थात सबसे घनी आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश में केवल 953 बायो गैस संयंत्रों लगाने के साथ उत्तराखंड़ से काफी पीछे है. अन्य बड़े राज्यों पश्चिम बंगाल अपने खराब प्रदर्शन के कारण बाहर खड़ा है क्योंकि वहां सिर्फ 316 बायोगैस संयंत्र ही लग पाए हैं. जबकि केरल ने 2,513 बायोगैस संयंत्र स्थापित किए, तमिलनाडु (1,133), राजस्थान (1,024), असम (991) और गुजरात (841).

चार प्रमुख राज्य अर्थात बिहार, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड काफी पीछे खड़ा है. बिहार में 198, तेलंगाना में 136, ओडिशा में 264 और झारखंड में केवल 96 संयंत्र ही लग पाए हैं. दूसरी ओर पूर्वोत्तर के छोटे राज्यों जैसे मेघालय (497) और मिजोरम (401) ने अधिक बायोगैस संयंत्र स्थापित करके अच्छा प्रदर्शन किया. अन्य राज्यों की तरह अरुणाचल प्रदेश ने 69 बायोगैस संयंत्र स्थापित किए, गोवा (8), हिमाचल प्रदेश (73), जम्मू और कश्मीर (6), और त्रिपुरा ने 76 बायो-गैस संयंत्र स्थापित किए.

केंद्र सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान राज्यों को 105 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी दी है. 2018-19 में 43.072 करोड़ रुपये, 2019-20 में 33.244 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020-21 में 29.19 करोड़ रुपये की कुल सब्सिडी जारी की. केंद्र ने 2017-18 से 2019-20 तक तीन साल की अवधि के दौरान नए राष्ट्रीय बायोगैस और जैविक खाद कार्यक्रम (एनएनबीओएमपी) के तहत स्थापित छोटे बायोगैस संयंत्रों की कार्यक्षमता का आकलन करने के लिए एक स्वतंत्र मूल्यांकन अध्ययन किया है. अध्ययन के अनुसार देश में 96 प्रतिशत बायोगैस संयंत्र कार्यरत मिले हैं.

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