मुंबई :महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को दिवंगत पादरी और कार्यकर्ता स्टेन स्वामी के चिकित्सा दस्तावेज बंबई उच्च न्यायालय में जमा करा दिए. एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में 84 वर्षीय स्वामी आरोपी थे और चिकित्सा आधार पर जमानत याचिका लंबित रहने के दौरान पिछले हफ्ते न्यायिक हिरासत में एक अस्पताल में उनका निधन हो गया था.
मुख्य लोक अभियोजन अरुणा पाई ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जमादार की एक पीठ को बताया कि राज्य सरकार ने उस समय से स्वामी के संपूर्ण चिकित्सा दस्तावेजों का एक संकलन जमा करा दिया है, जब वह एक विचाराधीन कैदी के तौर पर तलोजा जेल में लाए गए थे.
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अक्टूबर 2020 में स्वामी को रांची से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के समय एनआईए ने उनसे पूछताछ की थी, लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी ने कभी उनकी हिरासत नहीं मांगी.
पार्किंसन और कई दूसरी बीमारियों से ग्रस्त स्वामी तब 83 वर्ष के थे. गिरफ्तारी के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। इसके बाद उन्हें नवी मुंबई में तलोजा कारागार अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
इस साल पांच जुलाई को उच्च न्यायालय को स्वामी की मौत की सूचना देने के बाद अदालत में आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने बताया था कि स्वामी की मौत एनआईए और महाराष्ट्र जेल प्राधिकारियों द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण हुई है, जो उन्हें समय पर पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में विफल रहे.
देसाई ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि स्वामी की चिकित्सा आधार पर जमानत की याचिका और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत जमानत पर रोक को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को लंबित रखा जाए. उन्होंने उच्च न्यायालय से स्वामी के चिकित्सा दस्तावेज मंगवाने का भी अनुरोध किया था.