नई दिल्ली/मुंबई/चेन्नई :पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने के केंद्र सरकार के फैसले के अगले ही दिन रविवार को महाराष्ट्र, राजस्थान एवं केरल ने इन पेट्रोलियम उत्पादों पर स्थानीय स्तर पर लगने वाले शुल्क वैट में कटौती करने की घोषणा कर दी. हालांकि, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के वैट में कटौती करने संबंधी राज्यों से किए गए आह्वान के बावजूद कुछ राज्य सरकारों ने राजस्व संग्रह में आने वाली कमी का हवाला देते हुए ऐसा कर पाने में अपनी असमर्थता जताई.
महाराष्ट्र सरकार ने पेट्रोल पर लगने वाले मूल्य-वर्द्धित कर (वैट) में 2.08 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर लगने वाले शुल्क में 1.44 रुपये प्रति लीटर की कटौती करने की घोषणा की. राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि पेट्रोल एवं डीजल पर वैट घटाने से राज्य के खजाने को 2,500 करोड़ रुपये की वार्षिक क्षति होगी. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा कि राज्य सरकार पेट्रोल पर वैट में 2.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 1.16 रुपये प्रति लीटर की कटौती करेगी. इसके पहले केरल की वाममोर्चा सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट में कटौती करने की घोषणा कर दी थी. केरल सरकार ने पेट्रोल पर वैट में 2.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर लगने वाले शुल्क में 1.36 रुपये प्रति लीटर की कटौती करने का फैसला किया है.
हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने वैट में कटौती की अपेक्षा को गलत बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल एवं डीजल पर कर बढ़ाते समय राज्यों से कभी भी परामर्श नहीं किया था. वित्त मंत्री पलानिवेल त्यागराजन ने कहा कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती किए जाने के बावजूद पेट्रोल एवं डीजल की दरें वर्ष 2014 की तुलना में अब भी अधिक हैं. केंद्र सरकार ने शनिवार को ही पेट्रोल एवं डीजल पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती करने का फैसला लिया था. पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में आठ रुपये प्रति लीटर और डीजल पर उत्पाद शुल्क में छह रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई है. इसके साथ ही केंद्र ने उपभोक्ताओं को अधिक राहत देने के लिए स्थानीय स्तर पर लगने वाले वैट में भी कटौती करने का आह्वान राज्य सरकारों से किया था. इसी के बाद महाराष्ट्र, केरल एवं राजस्थान ने वैट में कटौती की घोषणा की है.