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Published : Oct 28, 2022, 11:30 AM IST

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टाटा एअरबस परियोजना गुजरात चले जाने पर विपक्ष के निशाने पर आयी महाराष्ट्र सरकार

आदित्य ठाकरे ने पुणे जिले की शिरुर तहसील में पत्रकारों से बातचीत में पूछा कि क्या राज्य सरकार जवाब देगी कि ये परियोजनाएं बाहर क्यों जा रही हैं? यह (टाटा-एअरबस) चौथी परियोजना है जो महाराष्ट्र में गद्दार सरकार के सत्ता में आने के बाद से राज्य से दूर चली गयी है.

टाटा एअरबस परियोजना गुजरात चले जाने पर विपक्ष के निशाने पर आयी महाराष्ट्र सरकार
टाटा एअरबस परियोजना गुजरात चले जाने पर विपक्ष के निशाने पर आयी महाराष्ट्र सरकार

मुंबई: केंद्र द्वारा टाटा-एअरबस सी-295 परिवहन विमान परियोजना गुजरात में स्थापित करने की घोषणा के बाद विपक्ष ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करते हुए पूछा कि यह परियोजना पड़ोसी राज्य में क्यों गयी जबकि इसे महाराष्ट्र में स्थापित किया जाना था. महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने गुरुवार को शिंदे सरकार पर राज्य की प्रगति को लेकर गंभीर न होने का आरोप लगाया और 'राज्य के हितों की रक्षा करने में नाकाम' रहने के लिए उसकी आलोचना की.

राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने दावा किया कि शिंदे-भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस परियोजनाओं को स्थानांतरित करने की कोशिश की है ताकि आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित की जा सके. बहरहाल, भाजपा ने आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार ने प्रस्तावित परियोजना पर आगे बढ़ने के लिए कुछ नहीं किया था.

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रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि यूरोपीय कंपनी एयरबस और भारतीय समूह टाटा का एक कंसोर्टियम (संघ) गुजरात के वडोदरा में भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 परिवहन विमान का निर्माण करेगा. इस परियोजना के तहत पहली बार निजी कंपनी द्वारा सैन्य विमान का निर्माण भारत में किया जाना है. परियोजना की कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये है. विमान का इस्तेमाल नागरिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है.

इस साल सितंबर में मुख्यमंत्री शिंदे के वफादार उदय सामंत ने कहा था कि टाटा-एअरबस विमान विनिर्माण परियोजना महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में नागपुर के समीप स्थापित की जाएगी. गौरतलब है कि पिछले महीने वेदांता और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक कंपनी फॉक्सकॉन की संयुक्त सेमीकंडक्टर परियोजना गुजरात में स्थापित करने की घोषणा के बाद महाराष्ट्र में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था. पहले यह परियोजना पुणे शहर के समीप स्थापित की जानी थी.

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आदित्य ठाकरे ने पुणे जिले की शिरुर तहसील में पत्रकारों से बातचीत में गुरुवार को पूछा कि क्या राज्य सरकार जवाब देगी कि ये परियोजनाएं बाहर क्यों जा रही हैं? यह (टाटा-एअरबस) चौथी परियोजना है जो महाराष्ट्र में गद्दार सरकार के सत्ता में आने के बाद से राज्य से दूर चली गयी है. वे हमेशा दावा करते हैं कि उनकी डबल-इंजन की सरकार है लेकिन केवल केंद्र सरकार का इंजन काम कर रहा है जबकि राज्य सरकार का इंजन फेल हो गया है.

ठाकरे भारी बारिश के कारण किसानों को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए शिरुर आए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिंदे आए दिन दिल्ली जाते हैं लेकिन वे वहां अपने लिए जाते हैं न कि महाराष्ट्र के लिए. मैंने उन्हें कभी यह कहते नहीं सुना कि टाटा-एअरबस परियोजना को महाराष्ट्र में आना चाहिए था. वेदांता फॉक्सकॉन, बल्क ड्रग पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क और अब टाटा एअरबस समेत परियोजनाएं गुजरात चली गयी हैं.

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अंबादास दानवे ने इस परियोजना के गुजरात चले जाने पर राज्य सरकार की आलोचना की. उन्होंने ट्वीट किया कि यह ईडी (एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस) सरकार महाराष्ट्र की है या गुजरात की है? यह सरकार चिल्लाती है कि वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना पूर्ववर्ती एमवीए सरकार के कारण गुजरात चली गयी. अब किसके कारण यह परियोजना (टाटा-एअरबस) गुजरात चली गयी? इस पर पलटवार करते हुए भाजपा विधायक प्रवीण दारेकर ने कहा कि टाटा-एअरबस परियोजना के लिए समझौता एक साल पहले हुआ था और आपको पता होना चाहिए कि उस समय कौन सत्ता में था. पूर्ववर्ती सरकार ने इस पर कुछ नहीं किया. विपक्ष को ऐसे निराधार आरोप नहीं लगाने चाहिए.

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