मुंबई : मुंबई नगर निकाय की कार्यप्रणाली को लेकर भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) द्वारा तैयार रिपोर्ट में पारदर्शिता और योजना की कमी के साथ-साथ लापरवाह तरीके से धन के इस्तेमाल और कोविड-19 प्रबंधन से जुड़ी जानकारी के साझा नहीं करने को रेखांकित किया है.
महाराष्ट्र विधानसभा में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा पेश कैग रिपोर्ट में बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के नौ विभागों द्वारा 28 नवंबर 2019 से 31 अक्टूबर 2022 के बीच खर्च किए गए 12,023.38 करोड़ रुपये का लेखा परीक्षण किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई कार्य बिना निविदा प्रक्रिया के या उचित ठेकेदार को चुने बिना दिए गए जिनमें पम्पिंग स्टेशन का काम भी शामिल है और अंतत: संदिग्ध मंशा होने से इनकार नहीं किया जा सकता है.
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र के महालेखाकार (ऑडटिट)-प्रथम द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद बीएमसी ने कोविड-19 महामारी को रोकने और अन्य संबंधित कार्यों पर किए गए खर्च के दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए.
रिपोर्ट में कहा गया कि इन दस्तावेजों को नहीं उपलब्ध करा भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक को उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने से रोका गया और साथ ही बीएमसी ऑडिट से प्राप्त होने वाले अहम सुझाव से वंचित हुआ जो व्यवस्था को सुधारने के लिए लाभदायक होते.