मुंबई : महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) की मुंबई पीठ ने राज्य सरकार को पुलिस उप-निरीक्षक (पीएसआई) का एक पद ट्रांसजेंडर के लिए आरक्षित रखने का निर्देश दिया है (reserve one police sub inspector post for transgenders). एमएटी की अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मृदुला भाटकर ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा कि उच्चतम न्यायालय के 2014 के उस फैसले के बाद से यह अनिवार्य है, जिसमें सभी राज्य सरकारों को सभी सार्वजनिक नियुक्तियों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को आरक्षण देने को कहा गया था.
न्यायाधिकरण विनायक काशीद द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) को एक ट्रांसजेंडर उम्मीदवार के रूप में पीएसआई पद के लिए आवेदन देने की अनुमति संबंधी निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
एमएटी के आदेश की प्रति मंगलवार को मुहैया कराई गई. इस साल अगस्त में, न्यायाधिकरण ने महाराष्ट्र सरकार को शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक कार्यालयों में ट्रांसजेंडर के लिए पदों के प्रावधान के संबंध में छह महीने में एक नीति लाने का निर्देश भी दिया था.
राज्य सरकार के वकील ने सोमवार को न्यायाधिकरण को बताया कि वह अभी भी ट्रांसजेंडरों के लिए आरक्षण नीति तैयार करने पर विचार कर रहा है. इस पर खफा होकर ट्रिब्यूनल ने कहा कि सरकार को देश के कानून और शीर्ष अदालत के फैसले का पालन करना होगा. राज्य सरकार के रुख को स्वीकार करना मुश्किल है कि नीतिगत निर्णय आज तक नहीं लिया गया है.