अलीगढ़: उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई तीन दिवसीय धर्म संसद को लेकर विवाद जारी है. धर्म संसद में शामिल लोगों के विवादित भाषण चर्चा का विषय बने हुए हैं. ईटीवी भारत ने इस धर्म संसद को लेकर निरंजनी अखाड़े की महामंडलेशवर डॉ. अन्नपूर्णा भारती से खास बात की. उन्होंने कहा कि भगवा ही सनातन और भारत वर्ष की पहचान है. भगवा के अंदर सब कुछ समायोजित है. भगवा देश और धर्म की रक्षा करने के लिए संबल है.
अलीगढ़ में डॉ.अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि हरिद्वार की धर्मसंसद पारंपरिक कार्यक्रम है. इसका आयोजन हरिद्वार के साधु संतों ने मिल कर किया. इस बार का विषय 'इस्लामिक भारत में सनातन का भविष्य' था. इस विषय को लेकर धर्मसंसद में चर्चा हुई और मुक्त चिंतन हुआ. सभी लोगों ने अपने विचार प्रस्तुत किए.
डॉ.अन्नपूर्णा ने कहा कि हिंदू सहिष्णु है और इसी सहिष्णुता का नतीजा है कि हमने 800 साल तक मुगलों की गुलामी सही. फिर हमने अंग्रेजों की गुलामी सहन की. आज जिसको आप आक्रमकता या कट्टरता बोल रहे हैं, वो हमारी भावनाए हैं. इनको समझा जाए. हम लोग युद्ध के लिए तैयार हो रहे हैं. परिस्थितियां विषम हैं.
डॉ.भारती ने कहा कि कश्मीर में नाम पूछकर लोगों को मारा जा रहा है. नौ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गये हैं. हम युवाओं को सशक्त होने के लिए कह रहे हैं. अब इजराइल की तरीके से भारत में भी हर घर में एक सैनिक होना चाहिए. हिंदुओं को यहां के सिस्टम ने कमजोर कर दिया है. लोग राजनीतिक फायदे के लिए हमारी बातों को हेट स्पीच कह देते हैं.
अलीगढ़ में निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर डॉ. अन्नपूर्णा भारती डॉ.अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि आज से 4-5 साल के बाद निर्णायक स्थिति में मुसलमान होंगे. संविधान उनको सारे अधिकार दे देगा और हमारे पास कुछ नहीं बचेगा. वसीम रिजवी उर्फ जीतेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने धर्मसंसद में कहा है कि मदरसों में ट्रेनिंग हो चुकी है. प्लानिंग बन चुकी है. आने वाले 15-20 साल में हिंदुओं को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा. हिंदू धर्म को बचाने के लिए कुछ कहना पाप नहीं है. बिना भय के प्रीत नहीं होती है.
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उन्होंने कहा कि भावना सबके लिए समान होती है. चाहे कोई भी धर्मशास्त्र हो, वो कभी भी कत्लेआम नहीं सिखाएगा. अगर बात धर्म रक्षा की होगी, तो हम कत्लेआम से परहेज नहीं करेंगे. भगवान राम ने भी राक्षसों का वध किया था. भगवान कृष्ण ने भी ऐसे ही धर्म की रक्षा की थी. हम सही कह रहे हैं. हमें कोई राजनीतिक लाभ नहीं है. सरकार के पास भी सही आंकड़े नहीं हैं. मुसलमानों की संख्या बहुत अधिक हो चुकी है. भावनाओं को लेकर पक्षपात नहीं होना चाहिए.