मुंबई :बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या 2013 में मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम लागू होने के बाद राज्य भर में हाथ से मैला ढोने वालों की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण किया था. उनके पुनर्वास के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.
अदालत ने यह भी जानना चाहा कि 1993 से अब तक कितने हाथ से मैला ढोने वालों की मौत हो गई है और क्या राज्य सरकार ने उनके परिवार के सदस्यों को मुआवजा दिया है. अदालत तीन महिलाओं द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनके पति मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में कार्यरत थे और दिसंबर 2019 में उपनगरीय गोवंडी में एक निजी सोसायटी में एक सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. याचिकाकर्ताओं ने प्रावधानों के अनुसार सरकार से मुआवजे की मांग की थी.
अदालत ने शुक्रवार को मुंबई उपनगरीय कलेक्टर को प्रत्येक याचिकाकर्ता को मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ता के पतियों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार व्यक्ति या संस्था से कलेक्टर द्वारा राशि की वसूली की जाएगी.
अदालत ने कहा कि चार सप्ताह की अवधि के भीतर राशि का भुगतान किया जाना है. सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने अदालत को बताया कि पीड़ितों को काम पर रखने वाली कंपनी ने घटना के बाद प्रत्येक याचिकाकर्ता के लिए 1.25 लाख रुपये के तीन चेक जमा किए थे.