लखनऊ: उमेश पाल हत्याकांड के राज से पर्दा उठाने के लिए रिमांड पर लिए गए माफिया अतीक अहमद और अशरफ का 35 वर्षों का डर और अपराधिक साम्राज्य तीन लड़कों ने महज 15 सेकेंड में खत्म कर दिया. वह भी तक जब सुरक्षा घेरे में हथियारबंद 18 पुलिसकर्मी मौजूद थे. हालांकि ये पहली बार नहीं है, जब किसी माफिया और अपराधी की हत्या पुलिस के सामने हुई हो. पहले भी कई ऐसे थे, जिनकी पुलिस की गोलियां लगने से मौत नहीं हुई, लेकिन जेल में अपराधी की ही गोली का वो शिकार हो गए.
अन्नू त्रिपाठी को उसी के चेले ने जेल में मार गिरायाःमाफिया डॉन मुख्तार अंसारी का एक ऐसा गुर्गा जिसकी पूर्वांचल में धमक थी और उसके नाम से व्यापारी व ठेकेदार थर-थर कांपते थे, उसकी वर्ष 2005 में 2 मार्च को सेंट्रल जेल वाराणसी की बैरक में मार दिया गया था. मुख्तार के गुर्गे अनुराग उर्फ अन्नू त्रिपाठी की जेल में बंद उसके चेले संतोष उर्फ किट्टू ने हत्या कर दी थी. अचानक वह अन्नू की बैरक में घुसा और उसे गोलियों से भून दिया था. अन्नू की मौत ठीक उसी तरह हुई जैसे उसने अपनी मौत से एक साल पहले 13 मार्च 2004 को जेल में ही बंद सपा पार्षद बंशी यादव की हत्या की थी.
बागपत जेल में बजरंगी की हुई हत्याःपुलिस की नौ गोलियां खाने के बाद भी मौत की दहलीज से वापस आने वाला मुख्तार अंसारी का सबसे खास शूटर मुन्ना बजरंगी जेल के अंदर मारा गया था. उसके खौफ का पश्चिमी और पूर्वी यूपी में था. मुन्ना बजरंगी की हत्या बागपत जेल में वर्ष 2018 में कर दी गई थी. नौ जुलाई 2018 में मुन्ना बजरंगी को बागपत के एक मामले में सुनवाई के लिए जेल लाया गया था. जेल में मुन्ना का कुछ बंदियों से झगड़ा हो गया. इसमें बंदियों ने मुन्ना पर गोलियों की बौछार कर दी, जिसमें उसकी मौत हो गई. मुन्ना की हत्या के पीछे पश्चिमी यूपी का सबसे बड़ा अपराधी व बागपत जेल में ही बंद सुनील राठी का नाम आया था.