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Madras HC Suo Moto Action : द्रमुक मंत्रियों को बरी करने के फैसले पर फिर से विचार करेगा मद्रास हाईकोर्ट - मद्रास उच्च न्यायालय स्वत संज्ञान

मद्रास उच्च न्यायालय ने दो मंत्रियों के खिलाफ संपत्ति जमाखोरी के मामले को रद्द करने के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले पर फिर से विचार करने का फैसला किया है. पढ़ें पूरी खबर...

Madras High Court  Suo Moto Action
मद्रास उच्च न्यायालय

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 23, 2023, 12:59 PM IST

चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के अलग-अलग मामलों में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) मंत्री केकेएसएसआर रामचंद्रन और थंगम थेनारासु को बरी करने के आदेशों में स्वत: संज्ञान लेते हुए फिर से सुनवाई का निर्णय लिया है. ये मामले उनके खिलाफ सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) की ओर से दायर किए गए थे. एक जिला अदालत ने उन्हें मामलों में बरी कर दिया था. डीएमके नेताओं के खिलाफ ये मामले तब दर्ज किए गए थे जब ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) सत्ता में थी.

आदेशों का पुनरीक्षण मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने किया. आज इस मामले में सुनवाई होगी. यह घटनाक्रम जून में वेल्लोर की एक अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु के मंत्री के पोनमुडी और उनकी पत्नी को बरी किए जाने के बाद आया है. तमिलनाडु के मौजूदा राजस्व मंत्री केकेएसएसआर रामचंद्रन, उनकी पत्नी और अन्य करीबी सहयोगियों को इस साल जुलाई में श्रीविल्लिपुथुर में प्रधान सत्र न्यायालय ने बरी कर दिया था. उनके खिलाफ 2011 में मामला दर्ज किया गया था.

दिसंबर 2022 में, तमिलनाडु के वित्त मंत्री थंगम थेनारासु और उनकी पत्नी को 2012 के आय से अधिक संपत्ति मामले में उसी अदालत ने बरी कर दिया था. मामला उस समय का है जब वह 2006-2011 तक डीएमके सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री थे. न्यायमूर्ति वेंकटेश ने पहले पोनमुडी को बरी किए जाने को एक ऐसे मामले के रूप में वर्णित किया जहां न्यायिक व्यक्तियों के आशीर्वाद से अभियुक्तों के दिव्य सितारे पूरी तरह से चमक रहे थे.

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न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि जनता को कभी भी यह धारणा नहीं बनानी चाहिए कि अंपायर पक्ष ले रहे हैं, अन्यथा पूरा खेल एक तमाशा बनकर रह जाएगा. अदालत ने उन्हें बरी किए जाने के फैसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पुनर्विचार करने का भी फैसला किया और सुनवाई की तारीख 7 सितंबर तय की.

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