तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री पोनमुडी को 3 साल कैद की सजा
मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री और डीएमके नेता के. पोनमुडी और उनकी पत्नी पी. विशालाक्षी को आय के ज्ञात स्रोत से अधिक की संपत्ति के मामले में तीन साल कैद की सजा सुनाई है. TN Education Minister 3 years in prison
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चेन्नई: आय से अधिक संपत्ति के मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उच्च शिक्षा मंत्री और डीएमके नेता के पोनमुडी और उनकी पत्नी को तीन साल की जेल की सजा सुनाई. साथ ही 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इससे उन्हें विधायक का पद गंवाना पड़ा. हालांकि, अदालत ने मंत्री को अपील पर जाने के लिए सजा को 30 दिनों की अवधि के लिए निलंबित कर दिया जिससे दोनों सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें.
उन्हें एमके स्टालिन के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल से हटाया जा सकता है. अदालत ने मंगलवार को एक ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मंत्री और उनकी पत्नी पी विशालाक्षी को बरी कर दिया गया था. मंत्री को 1.75 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी पाया गया.
न्यायमूर्ति जी जयचंद्रन ने सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय द्वारा दायर एक अपील पर आदेश पारित किया. अदालत ने मंत्री और उनकी पत्नी के खिलाफ मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद सजा पर फैसला सुनाने के लिए 21 दिसंबर के लिए सुरक्षित रख लिया था. न्यायाधीन ने उन्हें अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा. मामले में पोनमुडी और उनकी पत्नी को बरी करने के विल्लुपुरम के प्रधान जिला न्यायाधीश के आदेश को खारिज कर दिया.
पोनमुडी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) के साथ धारा 13 (1) (ई) के तहत दंडनीय अपराध का आरोप साबित हुआ. अदालत ने फैसला सुनाया कि ऐसी धाराएं एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार और अवैध संवर्धन से संबंधित हैं. विशालाक्षी के खिलाफ आईपीसी (उकसाने) की धारा 109 के साथ पढ़े जाने वाले पीसी अधिनियम की समान धाराओं के तहत आरोप साबित हुए हैं.
हाईकोर्ट ने कहा,'जज ने दोषियों के खिलाफ सबूतों को नजरअंदाज कर उन्हें बरी करने के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए सतही कारणों की ओर इशारा किया. ट्रायल कोर्ट का फैसला स्पष्ट रूप से गलत और स्पष्ट रूप से सतही है. इसलिए, यह अपीलीय अदालत के लिए हस्तक्षेप करने और इसे रद्द करने का उपयुक्त मामला है.'
न्यायाधीश ने कहा कि स्वतंत्र सबूतों की सराहना किए बिना ट्रायल कोर्ट द्वारा विशालाक्षी के आयकर रिटर्न को स्वीकार करना स्पष्ट रूप से गलत गलत था. ट्रायल कोर्ट को उक्त निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सहायक और स्वतंत्र साक्ष्य की तलाश करनी चाहिए थी. न्यायाधीश ने कहा कि स्वतंत्र साक्ष्य के अभाव में अनुमानित कृषि आय 13,81,182 रुपए के मुकाबले 55,36,488 रुपये की कृषि आय के काल्पनिक दावे को स्वीकार कर लिया गया जो स्पष्ट रूप से अतार्किक था.
न्यायाधीश ने कहा कि कानून के पहले सिद्धांत और न्यायिक घोषणाओं की अनदेखी करते हुए आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक आरोपी द्वारा आयकर प्राधिकरण को आय की स्व-सेवा घोषणा को स्वीकार करना एक संभावित दृष्टिकोण नहीं था, बल्कि एक गलत विचार था.
न्यायाधीश ने कहा यह ए-1 (पोनमुडी) और ए-2 (विसालाक्षी) की आय के संबंध में अभियोजन पक्ष द्वारा दिए गए सबसे विश्वसनीय सबूतों को नजरअंदाज करके निकाला गया निष्कर्ष है. ट्रायल न्यायाधीश ने सबूत के रूप में बैंक खाते के बयानों की भी गलत व्याख्या की है. विश्वसनीय साक्ष्यों को छोड़ देने और साक्ष्यों की गलत व्याख्या के कारण न्याय की पूरी तरह से हत्या हो गई थी. अभियोजन पक्ष के अनुसार पोनमुडी ने 2006 और 2011 के बीच डीएमके शासन में मंत्री रहते हुए अपने नाम और अपनी पत्नी के नाम पर 1.75 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की थी, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक थी.
पोनमुडी 1989-1991 और 2006-2011 के पिछले डीएमके सरकार में मंत्री थे. उन पर एआईएडीएमके के सत्ता में लौटने के बाद सितंबर 2011 में उनके खिलाफ सतर्कता मामला दर्ज किया गया था. सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) ने आरोप पत्र में कहा कि मंत्री और उनकी पत्नी के पास 13 अप्रैल, 2006 को 2.71 करोड़ रुपये की संपत्ति थी. लेकिन, मई तक यह बढ़कर 6.27 करोड़ रुपये हो गई थी. दोनों रुपये का हिसाब नहीं दे सके. वहीं एजेंसी ने पोनमुडी के खिलाफ आपराधिक कदाचार का आरोप लगाते हुए विशालाक्षी पर उसे उकसाने का आरोप लगाया. पोनमुडी के वकील और द्रमुक के राज्यसभा सांसद एनआर एलंगो ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी और उन्होंने इसे पलटने का विश्वास जताया.