चेन्नई :मद्रास उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर मंगलवार को खंडित फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति जे. निशा बानू और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने बालाजी की पत्नी की ओर से अपने पति को कथित तौर पर 'अवैध तरीके से हिरासत' में लिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुनाया. दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया.
पीठ ने रजिस्ट्री को मुख्य न्यायाधीश के सामने मामला रखने का निर्देश दिया ताकि वह मामला तीसरे न्यायाधीश को भेज पाएं. न्यायमूर्ति जे. निशा बानू ने बालाजी की पत्नी मेगाला की ओर से दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को अनुमति दी, जबकि न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने इसे खारिज कर दिया.
न्यायमूर्ति बानू ने याचिका को सुनवाई योग्य बताते हुए पुलिस को तुरंत ही बालाजी को रिहा करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने उनके फैसले से असहमति जताते हुए अपने आदेश में चार सवाल उठाए और उसके जवाब भी दिए.
न्यायधीश ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई मामला नहीं बनाया जिससे यह कहा जा सके कि हिरासत में लिया जाना अवैध है. सेंथिल बालाजी अस्पताल से छुट्टी मिलने तक या आज से लेकर 10 दिन तक निजी अस्पताल (कावेरी अस्पताल) में इलाज करा सकते हैं.
इसके बाद पीठ ने रजिस्ट्री को मुख्य न्यायाधीश के सामने मामला रखने का निर्देश दिया ताकि वह किसी अन्य पीठ के समक्ष इसे सूचीबद्ध करें. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘नौकरी के बदले नकदी’ के कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में सेंथिल बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार किया था.
ईडी ने मंत्री पर 2014-15 में राज्य के परिवहन उपक्रमों में कथित 'नौकरी के बदले नकदी' घोटाले में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. बालाजी पहले अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) में थे और दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की सरकार में परिवहन मंत्री थे.
ये भी पढ़ें- Senthil Balaji Case : सेंथिल बालाजी के लिए दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं: तुषार मेहता
गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की पत्नी ने मद्रास उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर राज्य भारतीय जनता पार्टी प्रमुख के अन्नामलाई पर उनके पति के खिलाफ 'द्वेष रखने' का आरोप लगाया. सेंथिल बालाजी को 14 जून को प्रवर्तन निदेशालय ने नौकरी के बदले नकदी घोटाले में गिरफ्तार किया था. ईडी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने मद्रास उच्च न्यायालय में दलील दी कि सेंथिल बालाजी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.