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हाई कोर्ट की मदुरै खंडपीठ का उदयनिधि स्टालिन अभिनीत फिल्म 'मामन्नान' की रिलीज पर रोक से इनकार - starring Udhayanidhi Stalin

तमिलनाडु हाई कोर्ट की मदुरै खंडपीठ ने उदयनिधि स्टालिन अभिनीत फिल्म मामन्नान की रिलीज पर रोक लगाने से मना कर दिया है. फिल्म 29 जून को रिलीज होगी.

Refusal to stay the release of the film 'Mamannan'
फिल्म मामन्नान' की रिलीज पर रोक से इनकार

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Published : Jun 28, 2023, 7:21 PM IST

मदुरै: तमिलनाडु हाई कोर्ट की मदुरै खंडपीठ ने उदयनिधि स्टालिन अभिनीत फिल्म मामन्नान की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इस संबंध में तिरुनेलवेली जिले के पलयानकोट्टई निवासी मणिकंदन ने हाई कोर्ट की मदुरै शाखा में एक याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया कि निर्देशक मारी सेल्वराज परियेरुम पेरुमल, कर्णन और अब मामन्नान विशिष्ट समुदायों पर आधारित फिल्में बना रहे हैं. उनकी आखिरी फिल्म कर्णन कोडिकुलम गांव की एक घटना और मुद्दे पर आधारित थी.

साथ ही यह भी कहा गया कि ऐसे में दो अलग-अलग समुदाय कर्णन फिल्म की घटनाओं को भूलकर शांतिपूर्ण माहौल में रह रहे हैं और वर्तमान समाज को ऐसी घटनाएं याद नहीं रहती, लेकिन फिल्म कर्णन उसकी याद दिलाती है. वहीं सेल्वराज द्वारा निर्देशित फिल्म मामन्नान 29 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. इसके गाने और ट्रेलर में दो अलग-अलग समुदायों के बीच संघर्ष को दिखाया गया है. विशेषकर कथप्पा पुलिथेवन, जिन्होंने तेनकासी जिले में स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी, को ममन्नन के नाम से जाना जाता है. ऐसा लगता है कि फिल्म उन्हें गलत तरीके से प्रस्तुत करती है. साथ ही, फिल्म के नायक उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु विधान सभा के सदस्य और युवा कल्याण और खेल मंत्री हैं. फिल्म में उदयनिधि स्टालिन का अभिनय भारत के संविधान के अनुच्छेद 173 (ए) के खिलाफ है.

कोर्ट में कहा गया कि अगर फिल्म रिलीज हुई तो दोनों समुदायों के बीच परेशानी पैदा होने की आशंका है. वहीं फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई याचिका दायर करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसलिए मामन्नान की फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाई जाए और फिल्म को स्क्रीन पर या ओटीटी जैसे किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर प्रसारित करने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया जाए.

मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए बुधवार को जस्टिस सुब्रमण्यम और जस्टिस विक्टोरिया गौरी की पीठ के समक्ष एक अपील दायर की गई. इस पर जजों ने कहा कि मामन्नान की फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाले मामले को अर्जेंट केस मानकर जांच करने की जरूरत नहीं है. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इससे दोनों समुदायों के बीच समस्या होने की आशंका है. इसके बाद, कोर्ट ने कहा कि वह फिल्म सेंसर विभाग द्वारा दी गई मंजूरी में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. अगर कानून-व्यवस्था की कोई समस्या होगी तो पुलिस उसका ख्याल रखेगी. इसके अलावा लोग एक बार कोई फिल्म देख लेते हैं तो दो दिन में उसे भूल जाते हैं. इसके अलावा जजों ने यह कहते हुए मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया कि हर किसी को बोलने और राय देने का अधिकार है.

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