दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

मद्रास HC ने NEET पैनल के खिलाफ याचिका खारिज की, स्टालिन ने किया स्वागत

मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) पर एक पैनल गठित करने वाली तमिलनाडु सरकार को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के विपरीत नहीं है.

verdict
verdict

By

Published : Jul 14, 2021, 7:05 AM IST

चेन्नई :तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक ने पिछले महीने सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एके राजन की अध्यक्षता में पैनल का गठन किया था. जो यह विश्लेषण करने के लिए था कि क्या एनईईटी का पिछड़े वर्गों के छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है? और यदि ऐसा है तो समिति सरकार को सुधार के उपायों की सिफारिश करेगी.

डीएमके अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण फैसला तमिलनाडु सरकार के दृढ़ संकल्प और प्रयासों के लिए शुरुआती बिंदु है. मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलुमर राममूर्ति की पहली पीठ ने कहा कि किसी भी तरह की कल्पना से आयोग के गठन को सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों या केंद्र सरकार के पास निहित शक्तियों के विपरीत नहीं देखा जा सकता है.

जनहित याचिका भाजपा की राज्य इकाई के महासचिव के नागराजन द्वारा दायर की गई थी. जिसमें सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (एमसीए -1) विभाग के इस साल के 10 जून के आदेश को असंवैधानिक, अवैध बताते हुए रद्द करने की मांग की गई थी. पीठ ने कहा कि निर्वाचित सरकार को नीट के प्रभाव का अध्ययन करने से रोकने के लिए कुछ भी नहीं है.

चिकित्सा प्रवेश की प्रक्रिया और शीर्ष अदालत के आदेशों की अवहेलना या केंद्र सरकार के अधिकार के लिए सबसे दूरस्थ चुनौती भी नहीं होगी. जब तक राज्य सरकार राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम की धारा 14 के विशेष अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन नहीं करती. तब तक यह अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है.

जनहित याचिका को खारिज करते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि अदालत अपनी नीति के संबंध में या जनता की राय या इस तरह के कदमों के संबंध में अधिसूचनाओं में जल्दबाजी नहीं कर सकती है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह आदेश राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम 2019 के तहत निहित प्रक्रिया के खिलाफ है.

जब शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त 2017 के अपने आदेश द्वारा एनईईटी के कार्यान्वयन के लिए निर्देश दिया था. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 261 के अनुसार शीर्ष अदालत की न्यायिक कार्यवाही को पूर्ण विश्वास और श्रेय दिया जाएगा.

याचिकाकर्ता ने कहा कि समिति बनाने का उद्देश्य ही अवैध था क्योंकि यह वस्तुतः सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बारे में जनता की राय लेने के बराबर था. इस बीच स्टालिन ने फैसले का स्वागत किया और इसे भाजपा के दोहरेपन पर ठोस झटका बताया.

इस मुद्दे पर सहयोगी अन्नाद्रमुक को भी फटकार लगाई. जबकि भाजपा ने राज्य विधानसभा में एनईईटी को वापस लेने का समर्थन किया था. अगर यह कानूनी रूप से ठीक था तो पार्टी एके राजन समिति के खिलाफ क्यों गई. इसने इनके दोहरेपन को उजागर किया.

पार्टी के एक बयान में कहा गया है कि 6 अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव में उसने जीत हासिल की. उन्होंने समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इस मुद्दे पर आगे कदम उठाने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि नीट के खिलाफ हमारे संघर्ष में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला है.

यह चिकित्सा शिक्षा के उम्मीदवारों के सपनों को पूरा करने के सरकार के प्रयासों का शुरुआती बिंदु है. चूंकि वर्ष के लिए एनईईटी कार्यक्रम पहले ही घोषित किया जा चुका है. पैनल द्वारा रिपोर्ट जमा करने के बाद कानूनी कदम उस समय (सितंबर) के भीतर खत्म नहीं होंगे.

यह भी पढ़ें-राजनाथ के आवास पर मंत्रियों की बैठक, मानसून सत्र की रणनीति पर हुई चर्चा

सीएम ने कहा कि हम ऐसी स्थिति सुनिश्चित करेंगे जहां हम NEET के कारण अपने छात्रों को होने वाली कठिनाइयों को समाप्त कर दें. एनईईटी का राज्य में लगभग सभी राजनीतिक दलों द्वारा विरोध किया जाता है. यहां तक ​​कि कुछ मेडिकल छात्रों ने कथित तौर पर इस मामले में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.

(पीटीआई)

ABOUT THE AUTHOR

...view details