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गांवों में खो गया MP सरकार का नूर, मोबाइल की फ्लैश लाइट में लगा इंजेक्शन - medical treatment in mobileflash light shivpuri

एमपी के कई गांवों में अंधेरा है. जरूरी समझी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी बिजली नहीं है. ऐसी जगहों पर जनरेटर दूर की कौड़ी नजर आती है. सरकार ऐसी स्थिति ना बने इसके लिए हर साल 13 हजार 642 करोड़ रूपए खर्च कर रही है. फिर भी हालत ज्यों के त्यों बने हुए हैं. ताजा मामला शिवपुरी का सामने आया है जहां अस्पताल के इमरजेंसी में लाए गए मरीजों का मोबाइल की फ्लैश लाइट में इलाज हो रहा है.

shivpuri hospital under mobile flashlight
शिवपुरी में इमरजेंसी में मरीजों का मोबाइल फ्लैश लाइट में इलाज

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Published : May 2, 2022, 7:37 PM IST

शिवपुरी। विकास के उजाले से चमचमाती एमपी सरकार के चेहरे का नूर गांवों में जाकर बदल जाता है. नूर ढल जाता है. चेहरा अंधेरे में खो जाता है. कारण एक ही है शहर की रोशनी गांव में गायब है. अंधेरा चारों तरफ फैला हुआ है. गांवों में बिजली है नहीं. सब कुछ बिना बिजली के चल रहा है. अस्पतालों में मरीज की जान बस डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के 'अंदाजे' के रहमों करम पर है. इंजेक्शन लगाने से लेकर शरीर की चीर फाड़ यानि ऑपरेशन तक सब अंदाजे पर हो रहा है.

शिवपुरी में इमरजेंसी में मरीजों का मोबाइल फ्लैश लाइट में इलाज

गाड़ी ने मारी टक्कर:आप कहेंगे ऐसा हो नहीं सकता है. कहीं बिना बिजली के भी ऑपरेशन या मरीज को डॉक्टर देख सकता है. हम कहेंगे हां. ऐसा एमपी में होता है. हिंदुस्तान का दिल दिखो. आपको अजब-गजब सब मिलेगा. ये मजाक नहीं है ईटीवी भारत को इसकी बानगी देखने को मिली शिवपुरी के कोलारस कस्बे में. शिवपुरी से जब हाई-वे नंबर 27 पर गुना की तरफ आगे बढ़ते हैं तो कोलारस कस्बा आता है. आबादी कम है.सड़कों पर अंधेरा है. ऐसा ही अंधेरा लुकवासा पुलिस चौकी के पास पचावली टोल के पास है. इसी की वजह से यहां पर किसी गाड़ी ने मोटरसाइकिल पर जा रहे दीपक लोधी और अमोल लोधी को टक्कर मार दी. दोनों बुरी तरह से घायल हो गए ।

अंधेरे में हुआ प्रथामिक उपचार:घायल सड़क पर पड़े थे. किसी ने एंबुलेंस को बुलाया. एंबुलेंस मौके पर पहुंची. वो घायलों को कोलारस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले आई. पर इस दौरान एंबुलेंस के स्टाफ से सुनाई पड़ा,"ये दारू पी रहे हैं, उसी में ये हुआ है. हम लोग परेशान हो रहे हैं." हालांकि लोगों का कहना था कि ये लोग रात में शादी का कार्ड बांटने जा रहे थे. बहरहाल घायलों की मदद की गई. उनको स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया. जहां इलाज अंधेरे में चला. केन्द्र में बिजली नहीं थी. घायल दर्द से ज्यादा स्वास्थ्य केन्द्र के हालत देखकर कर घबरा गए.

घायलों को एंबुलेंस से निकालकर स्ट्रेचर पर लेटाया गया. फिर अस्पताल के कमरे में लाया गया. वहां कुछ देर बाद डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पहुंचा. अचरज इस बात का कि तस्वीरें बताती है कि जिस अंधेरे में सामने खड़े व्यक्ति का चेहरा ना दिखता हो. उतने अंधरे में घायल मरीजों के जख्म, जिनसे खून निकल रहा था. उनको देख भी लिया गया. सफाई भी की गई. साथ-ही-साथ इंजेक्शन भी लगा दिया गया. घायल के साथ आए लोग ये जरूर पूछते रहे ,"अस्पताल में जनरेटर की व्यवस्था नहीं है क्या ?" हालांकि इस बात को अनसुना करते हुए नर्सिंग स्टाफ अपना काम करता रहा. बाद में मरीजों को शिवपुरी रैफर कर दिया गया.

पहले भी पड़ चुकी है फटकार:इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की हालत सुधारने के लिए पहले भी कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को फटकार लगा चुके हैं. इस स्वास्थ्य केन्द्र में साजों सामान सारे हैं. पर चलते नहीं है जबकि कागजों में सब दुरस्त है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पवन जैन का कहना है, " इमरजेंसी की सभी व्यवस्थाएं कोलारस स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद है किन कारणों से मोबाइल फोन के फ्लैश लाइट के सहारे उपचार किया गया इसकी जानकारी ली जा रही है."

मसला मध्यप्रदेश के केवल इस स्वास्थ्य केन्द्र का नहीं है. बाकी कई जगह यही हाल हैं. सरकार 13 हजार 642 करोड़ रूपए मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च कर रही है. इसके बाद भी मरीजों के हिस्से 'अंधेरा' ही आ रहा है. (madhya pradesh health condition) (Mp News in hindi) (Shivpuri Kolaras Hospital)

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