सिवनी। चार कमरे का स्कूल पढ़ाने के लिए 2 शिक्षक और भोजन बनाने के लिए एक रसोइया पढ़ने वाला मात्र एक बच्चा.. सुनने से लगता है कि कोई राजसी ठाट वाट वाला छात्र होगा, जिसे इतनी सुविधा दी जा रही है. लेकिन वास्तव में ये हाल सिवनी के केवलारी विकासखंड के चावरमारा गांव के एक सरकारी स्कूल के हैं. मध्य प्रदेश के कई सरकारी स्कूलों में 100 से ज्यादा तादाद में बच्चे हैं, लेकिन स्थाई शिक्षक नहीं मिल रहे हैं. वहीं सिवनी जिले के इस स्कूल में एक छात्र को पढ़ाने के लिए दो सरकारी टीचर तैनात किए गए हैं, स्कूल टीचर के वेतन सहित दूसरी सुविधाओं की बात करें तो महीने का खर्च लाखों में आता है.
एक बच्चे को पढ़ाने के लिए दो शिक्षक हैं तैनात:सिवनी जिले के केवलारी विकासखंड के खैरापलारी ग्राम पंचायत के चावरमारा गांव में पांचवी तक सरकारी स्कूल है, लेकिन इस स्कूल में सिर्फ एक बच्चा है और उसे पढ़ने के लिए दो शिक्षक यहां पदस्थ हैं. पिछले 3 सालों से स्कूल के यही हालात हैं, सिर्फ एक छात्र को पढ़ाने के लिए दो शिक्षक हर दिन स्कूल पहुंचते हैं.
लाखों रुपए हो रहे खर्च, स्कूल बंद करने का नहीं है प्रावधान:सरकारी खर्च का आकलन लगाया जाए तो महीने के लाखों रुपए सिर्फ एक बच्चे की पढ़ाई के लिए खर्च किया जा रहा है. इस मामले में जब ईटीवी भारत ने विकासखंड स्त्रोत समन्वयक नरेश सोनी से चर्चा की उन्होंने बताया कि "चावरवारा स्कूल में दो शिक्षक पदस्थ हैं, जिसमें एक उर्मिला राय और दूसरे शिक्षक का नाम चमरू रजक है. हालांकि स्कूल में एक ही बच्चा होने की वजह से शिक्षक चमरू रजक को शांति नगर के गिट्टी खदान स्कूल में अटैच कर दिया गया है, इतना ही नहीं स्कूल में एक बच्चे के मध्यान्ह भोजन के लिए सरकारी नियम के अनुसार रसोइया भी तैनात है."
केवलारी विकासखंड स्त्रोत समन्वयक नरेश सोनी ने बताया कि "शिक्षा के अधिकार के नियम के तहत किसी भी स्कूल में अगर एक बच्चे का नाम भी दर्ज है, तो उसे फ्रिज नहीं किया जा सकता. अगर बच्चे की माता-पिता चाहे तो उसे किसी दूसरे स्कूल में डाल सकते हैं, उसके बाद स्कूल को बंद करने की वजह फ्रीज किया जाता है. फ्रीज होने का मतलब है कि अगर फिर से कुछ सालों के भीतर स्कूल में बच्चों के दाखिले हो तो स्कूल चालू किया जा सके, इस दौरान तक शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में अटैच किया जाता है."