नई दिल्ली :भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मध्य प्रदेश में अब तक कुल 230 सीटों में से 78 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान कर चुकी है. सोमवार को जारी की गई बीजेपी उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में शामिल दिग्गजों के नाम को लेकर पूरे राज्य में हलचल हो गई है.
दरअसल बीजेपी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों के अलावा चार सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतारा है, जिसकी कल्पना भी राज्य की इकाई ने नहीं की थी. इनमें से कुछ तो अपने बेटे या रिश्तेदारों के लिए टिकट की मांग कर रहे थे, जबकि पार्टी ने परिवारवाद से दूरी बनाते हुए खुद इन केंद्रीय नेताओं को ही चुनाव की कमान थमा दी.
हालांकि, इस कदम को कांग्रेस, बीजेपी की तरफ से डर कर उठाया गया कदम मान रही हैं. लेकिन अंदरखाने पार्टी उन क्षेत्रों में जनाधार बढ़ाने की कवायद में हैं जहां 2018 में पार्टी कमजोर रह गई थी. ये चंबल के क्षेत्र और कुछ ऐसा इलाका रहा जिनमें मजबूत पकड़ वाले नेताओं को जो अब केंद्र की राजनीति में लगे थे उन्हें वापस भेजकर पार्टी ने सभी को चौंका दिया है. साथ ही ये भी संदेश देने की कोशिश की गई है कि उनके पास एक नहीं सीएम के कई उम्मीदवार हैं. वहीं दूसरी तरफ पार्टी ने एक फॉर्मूला और भी रखा है कि एक परिवार से पार्टी एक ही व्यक्ति को टिकट देगी ताकि चुनावी मैदान में विपक्षी पार्टियों पर वो परिवारवाद का भी आरोप लगा पाए.
बीजेपी को लगता है कि सासंद अगर विधानसभा का चुनाव लड़ते हैं तो उनकी लोकसभा सीट के अंदर आने वाली सभी 7-8 सीटों पर पार्टी की जीत का माहौल बन सकता है. पार्टी ने इन केंद्रीय नेताओं को ये संदेश देकर ही भेजा है कि उन्हें हर हाल में पार्टी को अपनी सीटों पर जीत दिलवानी है.
नरेंद्र सिंह तोमर :अब यदि क्रमवार देखा जाए तो पार्टी की परफॉमेंस 2018 में चंबल क्षेत्र में ठीक नहीं रही थी. नरेंद्र सिंह तोमर का इस क्षेत्र में दबदबा है, वो केंद्रीय मंत्री भी हैं और पार्टी के पुराने नेता और राज्य में अध्यक्ष पद पर भी रहे हैं. साथ ही पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश चुनाव समिति प्रबंधन का संयोजक भी बनाया है.