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नारदा स्टिंग : मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के बाद सुब्रत मुखर्जी भी अस्पताल में भर्ती

मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के बाद सुब्रत मुखर्जी भी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती हो गए हैं. सीबीआई की विशेष अदालत ने नारद स्टिंग मामले में टीएमसी के नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा, पूर्व टीएमसी नेता एवं कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी थी, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जल्द ही निचली अदालत के आदेश के अमल पर रोक लगा दी.

मदन मित्रा और सोवन चटर्जी
मदन मित्रा और सोवन चटर्जी

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Published : May 18, 2021, 8:20 AM IST

Updated : May 18, 2021, 3:17 PM IST

कोलकाता : टीएमसी नेता सुब्रत मुखर्जी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती हो गए हैं. उन्हें सीने में दर्द है. उन्हें मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया गया था. मुखर्जी से पहले मदन मित्रा और सोवन चटर्जी एसएसकेएम अस्पताल के वुडबर्न वार्ड में भर्ती हुए थे.

बता दें सांस लेने में तकलीफ की शिकायत पर सुबह करीब 4.45 बजे उन्हें प्रेसीडेंसी जेल से एसएसकेएम अस्पताल लाया गया जहां उनका इलाज चल रहा है. वहीं सुब्रत मुखर्जी को एसएसकेएम अस्पताल लाया गया हैं.

नारद स्टिंग ऑपरेशन के मामले में सीबीआई ने तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों व एक विधायक के साथ पार्टी के पूर्व नेता को सोमवार को नाटकीय घटनाक्रमों के बीच गिरफ्तार किया. इसके विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी छह घंटे तक सीबीआई कार्यालय में धरने पर बैठी रही जबकि उनके समर्थकों ने परिसर को घेरे रखा. केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई के खिलाफ राज्य के कई स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए.

उच्च न्यायालय ने टीएमसी नेताओं की जमानत पर लगाई रोक

सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में टीएमसी के नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा, पूर्व टीएमसी नेता एवं कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी थी लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जल्द ही निचली अदालत के आदेश के अमल पर रोक लगा दी.

उच्च न्यायालय ने 16 अप्रैल 2017 को स्टिंग ऑपरेशन की जांच सीबीआई को करने के निर्देश दिए थे.

बाद में एक विशेष अदालत ने तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्य के मंत्रियों फिरहाद हकीम तथा सुब्रत मुखर्जी, पार्टी विधायक मदन मित्रा और पार्टी के पूर्व नेता तथा कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी.

सीबीआई ने चारों नेताओं और आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा के खिलाफ अपना आरोप-पत्र दाखिल किया था. मिर्जा इस समय जमानत पर हैं.

तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर विधानसभा चुनाव में हार के बाद राजनीतिक प्रतिशोध के लिए सीबीआई के इस्तेमाल का आरोप लगाया. केंद्रीय जांच एजेंसी ने मामले के संबंध में चारों नेताओं को गिरफ्तार किया था जिन्हें 2014 में कथित तौर पर एक स्टिंग ऑपरेशन में रुपये लेते हुए देखा गया था.

कोलकाता स्थित निजाम पैलेस में सीबीआई दफ्तर राजनीतिक विवाद का नया केंद्र बन गया, जहां मुख्यमंत्री बनर्जी गिरफ्तार किये गये नेताओं के परिजनों के साथ पहुंचीं और उन्होंने खुद को भी गिरफ्तार करने की मांग की. वहीं मौके पर जमा हुए नाराज प्रदर्शनकारियों ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन का उल्लंघन किया. प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव भी किया.

दिल्ली में सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने कहा, एजेंसी ने नारद स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित एक मामले में पश्चिम बंगाल की तत्कालीन सरकार के चार (पूर्व) मंत्रियों को गिरफ्तार किया था. आरोप था कि तत्कालीन सरकारी सेवकों को स्टिंग ऑपरेशन करने वाले से रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद किया गया था.

वकील अनिंद्य राउत ने बताया कि विशेष सीबीआई न्यायाधीश अनुपम मुखर्जी ने डिजिटल सुनवाई में चारों नेताओं के वकीलों और एजेंसी के वकील की दलीलें सुनने के बाद उन्हें जमानत दे दी. इसी अदालत में एजेंसी ने अपना आरोप-पत्र दायर किया था.

पढ़ें :नारदा केस : चारों आरोपियों की अंतरिम जमानत पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने लगाई रोक

विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ सीबीआई की टीम ने उच्च न्यायालय में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ का रुख किया और जमानत रद्द करने का अनुरोध किया.

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगाना ही सही होगा. न्यायालय ने अगले आदेश तक सभी अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में भेजने का भी आदेश दिया.

Last Updated : May 18, 2021, 3:17 PM IST

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