हैदराबाद :हुबली की एक सरकारी डॉक्टर और इंदौर के एक युवक के कोरोना पॉजिटिव हो जाने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन दोनों रोगियों की तबीयत बिगड़ जाने के साथ ही उनके फेफड़े में संक्रमण हो गया. इस पर डॉक्टरों का मानना था कि फेफड़े का प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपाय है. इसके बाद दोनों मरीजों को एयर एंबुलेंस से हैदराबाद लाया गया. यहां पर दोनों मरीज फेफड़े के प्रत्यारोपण की सर्जरी के बाद ठीक हो गए.
बताया जाता है राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. शारदा सुमन की 14 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. वहीं कोरोना के कारण उनके फेफड़े को काफी नुकसान हुआ था. चूंकि डॉ. शारदा गर्भवती थीं, इसलिए डॉक्टरों ने बच्चे को बचाने के लिए एक आपातकालीन सर्जरी की. लेकिन प्रसव के बाद उन्हें कोई फायदा नहीं होने पर ईसीएमओ (Extracorporeal membrane oxygenation) मशीन पर रखा गया. यह एक ऐसी मशीन है जो की शरीर से बाहर खून को निकालकर उसमें ऑक्सीजन मिला कर वापस से शरीर में पहुंचा देती है.
20 से 25 कोविड रोगियों का हैदराबाद के विभिन्न अस्पतालों में हो चुका है फेफड़े का प्रत्यारोपण
वहीं एक विशेषज्ञ पैनल ने अंतिम उपाय के रूप में फेफड़ों के प्रत्यारोपण सर्जरी की सिफारिश की. इसके बाद पिछले हफ्ते, डॉ. शारदा को फेफड़ों के प्रत्यारोपण के लिए शहर के एक अस्पताल में ले जाया गया था. बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों के लगभग 20 से 25 कोविड रोगियों का हैदराबाद के विभिन्न कॉर्पोरेट और निजी अस्पतालों में फेफड़ों का प्रत्यारोपण किया जा चुका है.
इससे पहले इस तरह की सर्जरी के लिए चेन्नई एकमात्र जगह हुआ करती थी. हालांकि,अब मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि हैदराबाद पहली पसंद बन गया है. उनका कहना है कि शहर में मुंबई या दिल्ली की तुलना में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं हैं.
जीवनदान ट्रस्ट की अंगदान को लेकर जागरूकता पैदा करने में अहम भूमिका
शहर में विशेषज्ञों की उपलब्धता से बड़ी संख्या में प्रत्यारोपण सर्जरी की जा रही है. इसीक्रम में जीवनदान ट्रस्ट अंगदान को लेकर जागरूकता पैदा करने में अहम भूमिका निभा रहा है. वहीं संभावित अंग प्राप्तकर्ताओं को पहले एनआईएमएस (NIMS) में पंजीकरण करना होगा. इसबीच यदि जीवनदान ट्रस्ट द्वारा ब्रेन डेड मरीजों की पहचान की जाती है तो वे मरीज के परिवार से अंगदान के बारे में बात करते हैं.