हिसार: राजस्थान पंजाब और हरियाणा में लंपी स्किन डिजीज के कहर के बाद एक राहत भरी खबर है. हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने लंपी स्किन डिजीज की वैक्सीन (Lumpy skin disease Vaccine) तैयार कर ली है. ये पहली स्वदेशी वैक्सीन है. लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) सबसे पहले अफ्रीका में पाई जाती थी. मगर वर्ष 2019 में भारत आई और इसका सबसे पहला मामला ओडिशा में मिला था. ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन्स एंड इम्युनाइजेशन (गावी) की रिपोर्ट कहती है कि लंपी त्वचा रोग कैप्रीपोक्स वायरस के कारण होता है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को लंपी स्किन डिजीज की स्वदेशी वैक्सीन की लंपी-प्रो वेक (आईएनडी) (Lumpi-Pro Vac, Ind) राष्ट्र को समर्पित किया. तोमर ने इस वैक्सीन को लंपी बीमारी के निदान के लिए मील का पत्थर बताते हुए कहा कि मानव संसाधन के साथ ही पशुधन हमारे देश की बड़ी ताकत है, जिन्हें बचाना हमारा दायित्व है. उन्होंने संबन्धित अधिकारियों को निर्देश दिया कि पशुओं को राहत के लिए यह वैक्सीन जल्द से जल्द बड़ी तादाद में मुहैया कराई जाएं.
हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (National Equine Research Center Hisar) के वैज्ञानिकों ने इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आइवीआरआई) इज्जत नगर बरेली के साथ मिलकर करीब दो साल पहले ही लंपी स्किन डिजीज पर रिसर्च करना शुरू कर दिया था. इसके लिए सबसे पहले रांची में वायरस आइसोलेट किया और वैक्सीन तैयार की गई. इसके बाद टेस्टिंग के लिए नैनीताल के मुक्तेश्वर में वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के पशुओं में यह वैक्सीन लगाई गई और परिणाम सकारात्मक मिले.
वैज्ञानिकों ने फील्ड में राजस्थान के उदयपुर समेत कई जिलों में वैक्सीन पशुओं को लगाई और उनके सैंपल लेकर लैब में टेस्ट किये. टेस्टिंग पूरी होने व फाइनल वैक्सीन तैयार होने के बाद एनआरसीई हिसार ने इसे इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) को भेज दिया है. फिलहाल राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ वेटरनरी रिसर्च इज्जत नगर बरेली में इस वैक्सीन के डोज तैयार किए जा सकते हैं.