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फिर बढ़े रसोई गैस के दाम, घरेलू महिलाओं पर बढ़ा बोझ - सब्सिडी प्रति सिलेंडर

भारत ने ईंधन पर लगाए गए करों के संदर्भ में एक विश्व रिकॉर्ड बनाया है. इन करों के परिणामस्वरूप, पेट्रोल और डीजल की कीमतों के साथ-साथ रसोई गैस सिलेंडर की कीमत भी आदमी के लिए असहनीय हो गई है. तीन महीने के भीतर सिलेंडर की कीमत 225 रुपये का उछाल आया है. इससे घरेलु महिलाओं पर बोझ काफी बढ़ गया है.

एलपीजी गैस (फाइल फोटो)
एलपीजी गैस (फाइल फोटो)

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Published : Mar 4, 2021, 2:15 PM IST

नई दिल्ली : लगभग चार महीने पहले, एक लोकप्रिय ऊर्जा अनुसंधान और परामर्श संगठन वुड मैकेंजी ने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत रसोई गैस (एलपीजी) की खपत में चीन को पीछे छोड़ देगा. हालांकि वर्तमान सरकार यह बात स्वीकार नहीं करना चाहती. तथ्य यह है कि भारत ने ईंधन पर लगाए गए टैक्सों के संदर्भ में एक विश्व रिकॉर्ड बनाया है. पेट्रोल और डीजल की कीमत के साथ-साथ रसोई गैस सिलेंडर की कीमत भी आम आदमी के लिए असहनीय हो गई है. 3 महीने के भीतर सिलेंडर की कीमतों में 225 रुपये की बढ़ोतरी होने से घरेलू महिलाओं की बोझ बढ़ सकती है. हालांकि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि ईंधन की कीमतें अप्रैल तक कम हो जाएंगी. जबकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि उस समय तक गैस सिलेंडर की कीमत 1000 रुपये तक पहुंच जाएगी. बाजार में कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत भी 1800 रुपये के करीब है.

गैस पर तेजी से खत्म हो रहा है प्रत्यक्ष लाभ (Direct Benefit Transfer)

देश के हर राज्य में लाखों रसोई गैस कनेक्शन है. रसोई गैस की कीमत में अत्यधिक वृद्धि ने हर घर के बजट को प्रभावित किया है. रसोई गैस पर सब्सिडी की ओर प्रदान किया गया प्रत्यक्ष लाभ (DBT) तेजी से खत्म हो रहा है. वर्ष 2017 में, प्रत्येक सिलेंडर पर DBT 535 रुपये था, जबकि प्रत्येक सिलेंडर की कीमत 1000 रुपये थी. पिछले महीने से, सब्सिडी प्रति सिलेंडर 41 रुपये से नीचे चली गई है. रसोई गैस की कीमत में आई उछाल से आम आदमी घर चलाने के लिए अपने खर्चों में कटौती कर रही है.

प्रधानमंत्री मोदी ने सब्सिडी को छोड़ने के लिए किया था आग्रह

वर्ष 2015 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रसोई गैस पर अपनी सब्सिडी को छोड़ने के लिए संपन्न वर्गों से आग्रह किया था. जिसके बाद 1.13 करोड़ लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी. इससे सरकार की लगभग पांच हजार करोड़ रुपये की बचत हुई.

केंद्र सरकार ने 8 हजार करोड़ रुपये की लागत से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की. योजना का उद्देश्य तीन साल की अवधि में 5 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के नीचे खाना पकाने के लिए रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करना था. हाल ही में संबंधित केंद्र सरकार के सचिव ने कहा है कि उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड़ लोगों को LPG कनेक्शन दिए गए है.

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दो वर्षों में एक करोड़ और कनेक्शन प्रदान करेगी सरकार

संबंधित केंद्र सरकार के सचिव ने कहा है कि आज देश में कुल मिलाकर 29 करोड़ रसोई गैस कनेक्शन हैं. केंद्र सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि वह उज्ज्वला योजना को अगले दो वर्षों में एक करोड़ और कनेक्शन प्रदान करेगी. हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि सरकार का रसोई गैस की कीमत को गरीबों पर थोपने का कोई विचार नहीं है. केंद्र के नये बजट ने 40,915 करोड़ रुपये की वार्षिक रसोई गैस सब्सिडी की मात्रा घटाकर 12,995 करोड़ रुपये कर दी. सरकार की तरफ से एक ओर रसोई गैस की सब्सिडी खत्म कर दी गई है, जबकि दूसरी तरफ रसोई गैस पर अन्य करों में भारी वृद्धि की गई है जिसकी वजह से लोग दोहरी मार झेल रहे हैं.

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