नई दिल्ली : लगभग चार महीने पहले, एक लोकप्रिय ऊर्जा अनुसंधान और परामर्श संगठन वुड मैकेंजी ने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत रसोई गैस (एलपीजी) की खपत में चीन को पीछे छोड़ देगा. हालांकि वर्तमान सरकार यह बात स्वीकार नहीं करना चाहती. तथ्य यह है कि भारत ने ईंधन पर लगाए गए टैक्सों के संदर्भ में एक विश्व रिकॉर्ड बनाया है. पेट्रोल और डीजल की कीमत के साथ-साथ रसोई गैस सिलेंडर की कीमत भी आम आदमी के लिए असहनीय हो गई है. 3 महीने के भीतर सिलेंडर की कीमतों में 225 रुपये की बढ़ोतरी होने से घरेलू महिलाओं की बोझ बढ़ सकती है. हालांकि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि ईंधन की कीमतें अप्रैल तक कम हो जाएंगी. जबकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि उस समय तक गैस सिलेंडर की कीमत 1000 रुपये तक पहुंच जाएगी. बाजार में कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत भी 1800 रुपये के करीब है.
गैस पर तेजी से खत्म हो रहा है प्रत्यक्ष लाभ (Direct Benefit Transfer)
देश के हर राज्य में लाखों रसोई गैस कनेक्शन है. रसोई गैस की कीमत में अत्यधिक वृद्धि ने हर घर के बजट को प्रभावित किया है. रसोई गैस पर सब्सिडी की ओर प्रदान किया गया प्रत्यक्ष लाभ (DBT) तेजी से खत्म हो रहा है. वर्ष 2017 में, प्रत्येक सिलेंडर पर DBT 535 रुपये था, जबकि प्रत्येक सिलेंडर की कीमत 1000 रुपये थी. पिछले महीने से, सब्सिडी प्रति सिलेंडर 41 रुपये से नीचे चली गई है. रसोई गैस की कीमत में आई उछाल से आम आदमी घर चलाने के लिए अपने खर्चों में कटौती कर रही है.
प्रधानमंत्री मोदी ने सब्सिडी को छोड़ने के लिए किया था आग्रह