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Gujarat Assembly Election 2022 : कांग्रेस की दो टूक, 'वफादारी नहीं, तो टिकट भी नहीं' - गजुरात कांग्रेस की पहली सूची

गुजरात विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंका जा चुका है. कांग्रेस पार्टी आज उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है. पार्टी अपनी सूची में किस तरह के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देगी, पेश है इस पर वरिष्ठ पत्रकार अमित अग्निहोत्री की एक रिपोर्ट.

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मल्लिकार्जुन खड़गे

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Published : Nov 4, 2022, 5:12 PM IST

नई दिल्ली : गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ऐसे उम्मीदवारों पर फोकस कर रही है, जो पार्टी के प्रति लॉयल हैं. पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस पर गंभीरता से विचार किया गया है. बैठक की अध्यक्षता मल्लिकार्जुन खड़गे ने की है. उम्मीदवारों की पहली सूची आज ही जारी हो सकती है.

राज्य इकाई द्वारा सौंपी गई सूची पर वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीथला के नेतृत्व वाली स्क्रीनिंग कमेटी पहले ही विचार कर चुकी है. कमेटी ने संभावित उम्मीदवारों की एक सूची तैयार की है. 26 अक्टूबर को भी सीईसी की बैठक हुई थी, जिसमें खड़गे के अलावा सोनिया गांधी भी मौजूद थीं.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पिछले पांच सालों में पार्टी के कई विधायकों ने पाला बदल लिया. लिहाजा, इस पर विश्वसनीयता बहुत बड़ा फैक्टर होगा. पार्टी के करीब 14 विधायकों ने पिछले पांच सालों में नाता तोड़ लिया. 77 में से मात्र 63 विधायक कांग्रेस के पास रह गए.

राज्य इकाई के वरिष्ठ नेता दीपक बाबरिया ने कहा कि उनकी राय में टिकट उसी को दिया जाना चाहिए, जो पार्टी के प्रति समर्पित और विश्वसनीय हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीदवारों की जाति और जीतने की क्षमता भी फैक्टर है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. बाबरिया ने कहा कि हमारे उन्हीं विधायकों ने पार्टी छोड़ी, जो या तो प्रलोभन में आ गए या फिर भाजपा और सरकार की एजेंसी के दबाव में थे.

उन्होंने कहा कि भाजपा ऐसा पहले भी करती रही है. उन्होंने मध्य प्रदेश, गोवा और अन्य राज्यों में भी ऐसा ही किया है. उन्होंने यह भी कहा कि प्रलोभन दिए जाने की वजह से बहुत सारे व्यक्तियों का विश्वास डोल जाता है, लेकिन अंत में सिर्फ आपका बुद्धि, विवेक और अंतरात्मा ही काम देती है.

कांग्रेस पिछले 27 सालों से गुजरात में सत्ता से दूर है. लेकिन यह भी एक हकीकत है कि पार्टी आप के मैदान में आ जाने से दबाव में है. पार्टी को इसका आभास है कि वैसे नेता, जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा, वे या तो भाजपा या फिर आप की ओर जा सकते हैं. साथ ही उन्हें इस बात का इल्म है कि आप और भाजपा कई जगहों पर डमी कैंडिडेट भी उतारेंगे, जिसकी वजह से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'टिकट पर फैसला लेने से पहले इन सारे फैक्टरों पर गंभीरता से विचार किया गया है.' उन्होंने आगे कहा, 'यही वजह है कि हमने दावों के बावजूद पहली लिस्ट जारी नहीं की. बल्कि, हमने तो कह रखा है कि जिन्हें कांग्रेस का सिद्धान्त मंजूर नहीं है, वे चाहें तो पार्टी छोड़ सकते हैं.'

सामान्यतः यह तय है कि कांग्रेस अपने सीटिंग एमएलए को प्राथमिकता देगी. पार्टी नेताओं का कहना है कि जिन नेताओं ने कठिन समय में पार्टी का साथ दिया है, पार्टी उन्हें निराश नहीं करेगी. साथ ही साथ उनकी प्राथमिकता युवाओं और महिलाओं पर भी रहेगा.

स्टीयरिंग कमेटी के एक सदस्य ने बताया, 'राहुल गांधी ने पहले ही कह रखा है कि वह अधिक से अधिक युवाओं और महिलाओं को जिम्मेदारी देना चाहते हैं. 50 शहरी सीटों पर हम नए चेहरों को मौका देंगे, साथ ही उन सीटों पर भी ध्यान दिया जा रहा है, जिस पर हमने पिछले 50 सालों से जीत दर्ज नहीं की है. यह एक अच्छी रणनीति है, जिसके मुताबिक हम हर सीट पर विचार कर रहे हैं.'

राहुल ने यह भी कहा था कि जो लोग विभिन्न आंदोलन कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेंगे, उन्हें टिकट वितरण के दौरान वरीयता मिलेगी और पार्टी केवल किसी नेता की वरिष्ठता के आधार पर पार्टी के नामांकन के लिए उसके दावे को आगे नहीं बढ़ाएगी. पूर्व पार्टी प्रमुख से प्रेरणा लेते हुए, राज्य इकाई ने उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए हैं और प्रति सीट लगभग 3-4 नामांकन प्राप्त किए हैं.

इससे पहले एआईसीसी प्रभारी रघु शर्मा ने कहा था कि पार्टी 40 सबसे कठिन शहरी सीटों के नामों की घोषणा पहले करेगी लेकिन किसी तरह योजना में देरी हुई. इनमें से अधिकांश शहरी सीटें अहमदाबाद (12 सीटें), सूरत (8 सीटें), वडोदरा (5 सीटें), राजकोट (3 सीटें), भावनगर (3 सीटें) और जामनगर (3 सीटें) जैसे शहरों के अंतर्गत आती हैं.

उम्मीदवारों के बारे में सुनिश्चित करने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी ने उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने से पहले ब्लॉक स्तर की टीमों से फीडबैक लिया. चेन्निथला ने राज्य के उन नेताओं के साथ भी विस्तृत बातचीत की, जिन्होंने सुझाए गए नामों पर विचार किया था. परामर्श के दौरान, कुछ राज्य के नेताओं द्वारा दृढ़ता से विचार व्यक्त किया गया था कि पार्टी को 70 वर्ष से अधिक उम्र के उम्मीदवारों को आप उम्मीदवारों के खिलाफ खड़ा नहीं करना चाहिए. उन्होंन कहा कि आप युवाओं को मैदान में उतारती है, इसलिए हमारे पास भी उसका मुकाबला करने के लिए वैसे नेताओं को ही वरीयता मिलनी चाहिए.

पार्टी के एक महासचिव ने कहा इस बार हमारे पास बहुत से सरप्राइजेज हैं, विरोधी अनुमान लगाते रहें. उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक प्रजातांत्रिक पार्टी है, लिहाजा हम पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी रखना चाहते हैं.

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