पुरी/अहमदाबाद :ओडिशा की तटीय तीर्थनगरी पुरी स्थित 12वीं सदी के विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर से जय जगन्नाथ और हरिबोल के उद्घोषों के साथ मंगलवार सुबह रथयात्रा प्रारंभ हुई. बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों को खींचकर 2.5 किलोमीटर दूर स्थित उनके वैकल्पिक निवास स्थान गुंडिचा मंदिर की ओर लेकर चले. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के लगभग 45 फुट ऊंचे लकड़ी के तीन रथों को हजारों पुरुष खींच रहे थे, जबकि लाखों लोग उसे स्पर्श करने, प्रार्थना करने या विशाल रथयात्रा को देखने के लिए उमड़ पड़े. वहीं देर शाम तालध्वज रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचा. जबकि देवी सुभद्रा का देबदलन रथ बड़ासंखा में और भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष बालगंडी के पास रुका. ये सभी रथों को बुधवार सुबह 9 बजे फिर से खींचने का काम शुरू होगा.
वहीं ओडिशा सरकार ने इस महोत्सव के लिए व्यापक व्यवस्थाएं और सुरक्षा इंतजाम किए हैं. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास ने कहा कि मंगलवार को पुरी में लगभग 10 लाख लोगों के जुटने की उम्मीद है, जब भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथों को श्री गुंडिचा मंदिर तक खींचने का काम शुरू हो गया है. बता दें कि तीन रथों को श्री गुंडिचा मंदिर में देवताओं को ले जाने के लिए मंदिर के 'सिंहद्वार' के सामने खड़ा किया जाता है. देवता एक सप्ताह के लिए गुंडिचा मंदिर में रहते हैं. वहीं पुरी के मारीचकोट चौक के पास भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ को खींचते समय मामूली भगदड़ में 14 लोग घायल हुए हैं. इसमें एक की हालत गंभीर बताई गई है. पुलिस ने घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया है, अब स्थिति सामान्य है.
इससे पहले जिला प्रशासन ने बताया कि जगन्नाथ पुरी में रथ यात्रा की तैयारी पूरी हो गई है. रथ यात्रा ओडिशा के पुरी में आयोजित होने वाला एक महत्वपूर्ण वार्षिक उत्सव है. यह एक वार्षिक रथ उत्सव है जो भगवान कृष्ण के एक रूप को भगवान जगन्नाथ को समर्पित है. ओडिशा सरकार ने शहर को विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया है और लगभग 180 प्लाटून सुरक्षा के लिए तैनात किये गये हैं. तटरक्षक बल भी समुद्र तटों पर भी गश्त कर रहे हैं.
रथ यात्रा से जुड़ी रस्म पहांड़ी बीजे आज सुबह 9:30 बजे शुरू हुई. इस अनुष्ठान में मंदिर से विशाल मूर्तियों को ले जाया जाएगा और परिचारकों उन्हें रथों पर स्थापित करेंगे. रथों को पहांड़ी बीजे नामक जुलूस के लिए निकाला जाएगा. इसके बाद शाम करीब चार बजे श्रद्धालु रथ खींचेंगे. शाम को रथों को श्री गुंडिचा मंदिर लौट जाना होता है. अगले दिन, सभी देवताओं को गुंडिचा मंदिर के अंदर ले जाया जाएगा, जहां वे 28 जून तक रहेंगे. उसके बाद वापसी की रथ यात्रा होगी.