दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

फाइजर-बायोएनटेक कोविड-19 टीके की दो खुराकों के बीच लंबे अंतर से एंटीबॉडी का स्तर बढ़ता है : अध्ययन - फाइजर-बायोएनटेक

ब्रिटिश अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया है कि कोविड-19 से प्रतिरक्षण के लिए फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech) द्वारा तैयार टीके की पहली और दूसरी खुराकों में लंबा अंतर रखने से मजबूत एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिरक्षण प्रणाली विकसित होती है.

फाइजर-बायोएनटेक
फाइजर-बायोएनटेक

By

Published : Jul 25, 2021, 5:07 AM IST

लंदन : कोविड-19 से प्रतिरक्षण के लिए फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech) द्वारा तैयार टीके की पहली और दूसरी खुराकों में लंबा अंतर रखने से मजबूत एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिरक्षण प्रणाली विकसित होती है. यह दावा ब्रिटिश अनुसंधानकर्ताओं ने किया है.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नेतृत्व में बर्मिंघम, न्यूकैसल, लीवरपूल और शेफील्ड विश्वविद्यालयों द्वारा और यूके कोरोना वायरस इम्यूनोलॉजी कंसोर्टियम के समर्थन से यह विस्तृत अध्ययन फाइजर टीके से उत्पन्न प्रतिरक्षण क्षमता पर किया गया है. स्वास्थ्य कर्मियों में कोविड-19 से बचाव के लिए विकसित टी सेल के आधार पर किए गए अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि टी सेल और एंटीबॉडी का स्तर पहली और दूसरी खुराक में अधिक अंतर रहने पर भी उच्च बना रहता है और यह उच्च स्तर दो खुराकों के बीच एंटीबॉडी के स्तर में उल्लेखनीय कमी आने के बावजूद रहता है.

वैश्विक स्तर पर किए गए अध्ययन से इंगित होता है कि टीकाकरण की दो खुराकों के बीच अंतर कोविड-19 से वास्तविक रक्षा होती है और यह साबित करता है कि टीके की दूसरी खुराक की जरूरत है. शेफील्ड विश्वविद्यालय में संक्रामक बीमारी विषय के वरिष्ठ चिकित्सा प्रवक्ता एवं प्रमुख अनुसंधान पत्र लेखक डॉ.तुषाण डी सिल्वा ने कहा, 'हमारा अध्ययन सार्स-सीओवी-2 टीके के बाद एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिक्रिया का आकलन करता है, खासतौर पर रक्षा हेतु हो रही विभिन्न प्रक्रिया, जो संभवत: वायरस के नए स्वरूप से रक्षा कर सकती है.'

ये भी पढ़ें- स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना को लेकर राज्यों को जारी की एडवाइजरी, जानें क्या कहा ?

सिल्वा ने कहा, 'ब्रिटेन ने दो टीकों के बीच लंबे अंतर को अंगीकार किया और इसके नतीजे दिखाते हैं कि दो टीकों के बीच कम अंतर होने के मुकाबले लंबा अंतर होने पर एंटीबॉडी का स्तर अधिक रहता है. हालांकि, इस बढ़े हुए अंतर में एंटीबॉडी के स्तर में कुछ कमी आती है जबकि टी सेल की प्रतिक्रिया करने की क्षमता बनी रहती है. इससे स्पष्ट है कि अधिकतम सुरक्षा के लिए खासतौर पर डेल्टा प्रकार से बचने के लिए टीके की दो खुराकों की जरूरत है.'

अध्ययन में पाया गया कि कुल मिलाकर टी सेल-अलग तरीके की प्रतिरक्षण कोशिका- का स्तर 3 से 4 हफ्ते के अंतर में टीके की दूसरी खुराक लगवाने के मुकाबले लंबे अंतर पर टीके की खुराक लगाने पर 1.6 गुना कम होता है लेकिन लंबे अंतराल की स्थिति में टी सेल के 'सहायक' का उच्च स्तर बना रहता है, जो दीर्घकालीन प्रतिरक्षण स्मरण को बनाए रखते हैं. यह अध्ययन 503 स्वास्थ्य कर्मियों पर किया गया है और इसके नतीजे शुक्रवार को प्रकाशित किए गए.

(पीटीआई-भाषा)

ABOUT THE AUTHOR

...view details