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भारत-पाक बंटवारे में बिछड़े भाई-बहन 75 साल बाद करतारपुर कॉरिडोर में मिले - करतारपुर कॉरिडोर

भारत और पाकिस्तान के बंटवारे में बिछड़े भाई-बहन की 75 साल बाद करतारपुर कॉरिडोर में मुलाकात हुई. इस दौरान दोनों ही काफी भावुक हो गए. इसमें 81 वर्षीय महेंद्र कौर भारत में रहती हैं जबकि उनके भाई 78 वर्षीय शेख अब्दुल्ला अजीज पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में रहते हैं.

long lost siblings reunite after 75 years at kartarpur
बिछड़े भाई-बहन 75 साल बाद करतारपुर कॉरिडोर में मिले

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Published : May 24, 2023, 4:26 PM IST

Updated : May 24, 2023, 4:46 PM IST

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गुरदासपुर: करतारपुर कॉरिडोर के खुलने के बाद पाकिस्तान स्थित श्री करतारपुर साहिब के गुरुद्वारा साहिब में जाना आसान हो गया है. इससे 1947 के बंटवारे के दौरान बिछड़े कई भाई-बहनों और अन्य करीबी रिश्तेदारों के लिए भी यह संभव हो पाया है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें 81 साल की महेंद्र कौर की अपने 78 वर्षीय भाई शेख अब्दुल्ला अजीज से 75 साल बाद करतारपुर कॉरिडोर में मुलाकात हो सकी. महेंद्र कौर अपने परिवार के सदस्यों के साथ भारत से पाकिस्तान होते हुए गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब गई थीं. यहां पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर अपने परिवार के साथ रह रहे उनके भाई शेख अब्दुल्ला अजीज से भेंट की.

इस दौरान दोनों भाई- बहन भावुक होकर गले मिले. भावनात्मक तौर पर दोनों ने सबसे पहले अपने माता-पिता की मौत पर गहरा दुख जताया और एक-दूसरे को गले लगाया. बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर को प्यार, शांति और सुलह के कॉरिडोर के रूप में भी जाना जाता है, जो लंबे समय के बाद खोए हुए भाई-बहनों को एक साथ लाया है. दोनों मूल रूप से भारत-पाक विभाजन से पहले भारत में रहते थे.

बताया जाता है कि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले भारतीय पंजाब में रहने वाले भजन सिंह का परिवार बुरी तरह टूट गया था. विभाजन के बाद, अजीज आज़ाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चले गए, जबकि उनका परिवार और अन्य सदस्य भारत के पंजाब में रहे. अजीज ने कहा कि वह अपने परिवार से बिछड़ गए थे और कई सालों से गम में डूबे हुए थे. उसने अपने परिवार से संपर्क करने की काफी कोशिश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल सका. उन्होंने कम उम्र में शादी कर ली, लेकिन अपने माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों सहित अपने बिछड़े हुए परिवार से मिलने की इच्छा निरंतर बनी रही.

परिवार के सदस्यों ने कहा कि उन्हें विभाजन के दौरान एक व्यक्ति और उसकी बहन के बारे में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट मिला. इस पोस्ट के जरिए दोनों परिवार एक-दूसरे से जुड़े और पता चला कि महेंद्र कौर और अजीज आजाद असल में भाई-बहन हैं. खुशी में दोनों ने कई बार एक-दूसरे को गले लगाया और दोनों एक-दूसरे का हाथ चूमते नजर आए. अजीज ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बसने के बाद उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और पूरा परिवार अब मुस्लिम हो गया है.

इस अवसर पर करतारपुर प्रशासन ने दोनों परिवारों को माला पहनाई और मिठाई भेंट की. दोनों परिवारों ने एक साथ बैठकर खाना खाया और दरबार साहिब करतारपुर गए. दोनों परिवारों ने एक-दूसरे को तोहफे भी दिए. महेंद्र कौर ने भारत और पाकिस्तान सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट कई लोगों को एक साथ ला रहा है. उन्होंने टिप्पणी की कि आज करतारपुर गलियारा उन भाइयों और बहनों को एक साथ लाया है जो 75 साल पहले बिछड़ गए थे.

भविष्य में भी यह कॉरिडोर भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के कारण बिछड़े परिवार के सदस्यों को साथ लाएगा, लेकिन शाम को दोनों भाई-बहन इस वादे के साथ बिछड़ गए कि कॉरिडोर के जरिए वे दोबारा पाकिस्तान आएंगे. लेकिन महेंद्र कौर ने आशंका जताई कि वह बहुत बूढ़ी हो चुकी हैं और दोबारा अपने भाई से मिल पाएंगी या नहीं, यह तो भगवान पर निर्भर है.

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Last Updated : May 24, 2023, 4:46 PM IST

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