गुरदासपुर: करतारपुर कॉरिडोर के खुलने के बाद पाकिस्तान स्थित श्री करतारपुर साहिब के गुरुद्वारा साहिब में जाना आसान हो गया है. इससे 1947 के बंटवारे के दौरान बिछड़े कई भाई-बहनों और अन्य करीबी रिश्तेदारों के लिए भी यह संभव हो पाया है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें 81 साल की महेंद्र कौर की अपने 78 वर्षीय भाई शेख अब्दुल्ला अजीज से 75 साल बाद करतारपुर कॉरिडोर में मुलाकात हो सकी. महेंद्र कौर अपने परिवार के सदस्यों के साथ भारत से पाकिस्तान होते हुए गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब गई थीं. यहां पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर अपने परिवार के साथ रह रहे उनके भाई शेख अब्दुल्ला अजीज से भेंट की.
इस दौरान दोनों भाई- बहन भावुक होकर गले मिले. भावनात्मक तौर पर दोनों ने सबसे पहले अपने माता-पिता की मौत पर गहरा दुख जताया और एक-दूसरे को गले लगाया. बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर को प्यार, शांति और सुलह के कॉरिडोर के रूप में भी जाना जाता है, जो लंबे समय के बाद खोए हुए भाई-बहनों को एक साथ लाया है. दोनों मूल रूप से भारत-पाक विभाजन से पहले भारत में रहते थे.
बताया जाता है कि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले भारतीय पंजाब में रहने वाले भजन सिंह का परिवार बुरी तरह टूट गया था. विभाजन के बाद, अजीज आज़ाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चले गए, जबकि उनका परिवार और अन्य सदस्य भारत के पंजाब में रहे. अजीज ने कहा कि वह अपने परिवार से बिछड़ गए थे और कई सालों से गम में डूबे हुए थे. उसने अपने परिवार से संपर्क करने की काफी कोशिश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल सका. उन्होंने कम उम्र में शादी कर ली, लेकिन अपने माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों सहित अपने बिछड़े हुए परिवार से मिलने की इच्छा निरंतर बनी रही.