नई दिल्ली : लोकसभा की आचार समिति ने रिश्वत लेकर प्रश्न पूछने संबंधी आरोपों के मामले में गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा को संसद के निचले सदन से निष्कासित करने की अनुशंसा की. मोइत्रा ने आचार समिति की सिफारिश को खारिज करते हुए इसे एक कंगारू अदालत द्वारा पहले से फिक्स मैच करार दिया और कहा कि यह भारत में लोकतंत्र की मौत है. भारतीय जनता पार्टी के सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने बैठक की जिसमें समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया.
सूत्रों का कहना है कि 479 पृष्ठों वाली इस रिपोर्ट में मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की गई है. अब आचार समिति की रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा के पटल पर रखी जाएगी और इससे संबंधित प्रस्ताव पर मतदान होगा. सोनकर ने संवाददाताओं से कहा कि समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट को स्वीकार करने का समर्थन किया और चार ने इसका विरोध किया. रिपोर्ट का विरोध करने वाले विपक्षी सांसदों ने समिति की अनुशंसा को पूर्वाग्रत से युक्त और गलत बताया.
मोइत्रा के लिए परेशानी तब शुरू हुई जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने वकील जय अनंत देहाद्राई के माध्यम से तृणमूल कांग्रेस सदस्य के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक शिकायत भेजी, जिसमें उन पर अडाणी समूह एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर सदन में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में आचार समिति की बैठक सबसे पहले 26 अक्टूबर को हुई थी निशिकांत दुबे और देहाद्रई ने पेश हुए थे. इसके बाद दो नवंबर को मोइत्रा समिति के समक्ष उपस्थित हुई थीं.
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस द्वारा निलंबित सांसद परनीत कौर ने रिपोर्ट के समर्थन में वोट दिया है. वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं. अमरिंदर सिंह अब कांग्रेस छोड़ चुके हैं. लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने कहा कि यह शायद पहली बार है जब लोकसभा आचार समिति ने किसी सांसद को निष्कासित करने की सिफारिश की है. वर्ष 2005 में 'रिश्वत लेकर सवाल पूछने' के एक अन्य मामले में 11 सांसदों को संसद से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन उनके निष्कासन की सिफारिश राज्यसभा की आचार समिति और लोकसभा जांच समिति द्वारा की गई थी.
महुआ मोइत्रा ने फोन पर दिए साक्षात्कार में कहा, 'भले ही वे मुझे लोकसभा से निष्कासित कर दें, मैं अगली लोकसभा में बड़े अंतर से जीतकर आऊंगी.' मोइत्रा ने कहा, 'यह एक कंगारू अदालत का पहले से फिक्स मैच है जिसमें हैरानी की कोई बात नहीं है. लेकिन देश के लिए बड़ा संदेश यह है कि भारत के लिए यह संसदीय लोकतंत्र की मृत्यु है.' उन्होंने साफ किया कि सिफारिश को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है और इसे संसद के शीतकालीन सत्र में लिया जाना चाहिए.
आचार समिति के पांच विपक्षी सदस्यों ने अपने असहमति नोट में कहा है कि तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से की गई है और इससे आने वाले समय में एक खतरनाक परिपाटी कायम होगी. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. समिति में शामिल एन उत्तम कुमार रेड्डी और वी वैथिलिंगम, बसपा के दानिश अली, जनता दल (यूनाइटेड) के गिरधारी यादव और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पी. नटराजन ने असहमति के नोट दिए हैं. सूत्रों ने बताया कि विपक्षी सदस्यों ने अपने असहमति के नोट में यह दावा भी किया कि जांच की यह प्रक्रिया एक दिखावा और कंगारू अदालत की कार्यवाही की तरह है.
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